योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक, रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई और रोजगार प्रोत्साहन नीति में संशोधन को मंजूरी मिली

Edited By Imran,Updated: 16 Aug, 2022 08:21 PM

meeting held under the chairmanship of yogi adityanath

उत्तर प्रदेश में रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई और रोजगार प्रोत्साहन नीति 2018 में समय के अनुरूप बदलाव कर संशोधित करने के प्रस्ताव को योगी मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल गयी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई और रोजगार प्रोत्साहन नीति 2018 में समय के अनुरूप बदलाव कर संशोधित करने के प्रस्ताव को योगी मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल गयी।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुयी मंत्रिपरिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। 

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश के वातावरण में आमूल-चूल परिवर्तन तथा ढांचागत सुविधाओं में हुए गुणात्मक सुधार के कारण अब कतिपय बड़े आकार के निवेश प्राप्त होने के मद्देनजर निवेशकों द्वारा वर्तमान नीति में अनुमन्य प्रोत्साहनों से अधिक प्रोत्साहनों देने की मांग की जा रही थी। इसे देखते हुए निवेश को अन्य राज्यों के मुकाबले आकर्षक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 में कुछ संशोधन किये जाने का प्रस्ताव था। इस नीति में डिफेंस कॉरीडोर में निवेश करने वाली इकाइयों के हेतु प्रोत्साहन नये प्रावधान करने और व्यवसाय में सहजता लाने संबंधी प्रावधानों में संशोधन का निर्णय लिया गया है।        

गौरतलब है कि मौजूदा नीति के तहत 13 क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने का प्राविधान है। विशिष्ट डिफेंस पैकेजिंग, रक्षा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस नीति में इस क्षेत्र को सम्मिलित करने के लिए नीति में संशोधन किया गया है। इसी प्रकार रक्षा मंत्रालय द्वारा डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत संरचना की घोषणा की गई है। इसके द्वारा देश में 08 ग्रीन फील्ड डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय द्वारा देश के दोनों डिफेंस कॉरिडोर में दो-दो सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। जिसमें राज्य द्वारा सहायता के तौर पर भूमि एवं आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की जानी है। भारत सरकार की डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत संरचना योजना में राज्य प्रतिभाग करेगा। इसके लिए विद्यमान नीति में संशोधन करते हुए योजना के प्राविधानों के अनुसार आवश्यक भूमि डिफेंस 6 इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर के नोड्स में दी जाएगी। इसकी स्थापना हेतु योजनानुसार वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।  

इतना ही नहीं रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई उत्पादों में इन उत्पादों के परिवहन हेतु विशिष्ट लॉजिस्टिक्स वाहनों व संयंत्रों को भी सम्मिलित माना जाएगा। ऐसी इकाई जिसने भारत सरकार के सम्बन्धित अधिनियमों के अन्तर्गत कतिपय डिफेंस उपकरणों अथवा ‘आर्म्स एण्ड ऐम्युनिशन आइटम्स' की मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया है तथा मैन्युफैक्चेरिंग प्रारम्भ करना चाहती है, उसे डिफेंस कॉरिडोर में भूमि उपलब्ध कराए जाने की वर्तमान में व्यवस्था नहीं है। ऐसी नई इकाइयों को भी रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई की परिभाषा में सम्मिलित करने के लिए नीति में संशोधन किया गया है।   मंजूर किये गये संशोधन प्रस्ताव के अनुसार डिफेंस कॉरिडोर में रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण इकाइयों के मामलों में पूंजीगत उपादान 07 प्रतिशत की सीमा अर्थात अधिकतम 500 करोड़ रुपये तक अनुमन्य होगा जिसकी गणना भूमि के मूल्य को छोड़कर अहर्कारी स्थावर आस्तियों के आधार पर की जाएगी। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थापित होने वाली सभी रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण इकाइयों के मामलों में पूंजीगत उपादान 10 प्रतिशत की सीमा यानि अधिकतम 500 करोड़ रुपये तक अनुमन्य होगा। इसकी गणना भूमि के मूल्य को छोड़कर अहर्कारी स्थावर आस्तियों के आधार पर की जाएगी।       

इसके अलावा विनिर्माण इकाइयों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में दिये जाने वाले पूंजीगत उपादान की राशि 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी। ऐसे प्रकरणों में जहां देय राशि 50 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें 50 करोड़ रुपये से ऊपर की उपादान धनराशि अगले वित्तीय वर्षों में किश्तों में दी जाएगी। इस निर्णय के फलस्वरूप देश की रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता कम होगी, स्वदेशी तकनीकी के विकास एवं अनुसंधान तथा रक्षा उपकरणों एवं इससे सम्बन्धित सामग्री क्रय करने में कमी आएगी। इससे न केवल परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा, अपितु रक्षा क्षेत्र की एमएसएमई इकाइयों को भी निवेश का अवसर प्राप्त होगा।

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