Edited By Mamta Yadav,Updated: 04 Sep, 2025 07:41 PM

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक ऐसा थाना कार्यरत है जो अपनी कार्यप्रणाली के कारण इन दिनों सुर्खियों में है। यहां एफआईआर दर्ज होती है, आरोपी पकड़े भी जाते हैं, लेकिन न किसी को हथकड़ी लगती है, न सलाखों के पीछे डाला जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं...
Jhansi News: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक ऐसा थाना कार्यरत है जो अपनी कार्यप्रणाली के कारण इन दिनों सुर्खियों में है। यहां एफआईआर दर्ज होती है, आरोपी पकड़े भी जाते हैं, लेकिन न किसी को हथकड़ी लगती है, न सलाखों के पीछे डाला जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं झांसी के विद्युत थाने की, एक ऐसा थाना जो अपराधियों को सजा तो देता है, लेकिन उस सजा का तरीका पूरी तरह अलग है।
केवल बिजली चोरी के लिए बना है यह थाना
विद्युत थाना झांसी में सिर्फ और सिर्फ बिजली चोरी के मामलों की एफआईआर दर्ज होती है। थाना प्रभारी निरीक्षक मोहम्मद इमरान बताते हैं कि यहां बिजली चोरी करने वाले उपभोक्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की जाती। यहां की कार्यप्रणाली के अनुसार, आरोपी को पहले कंपाउंडिंग (शमन शुल्क) का मौका दिया जाता है। यदि उपभोक्ता जुर्माना चुका देता है तो मामला वहीं समाप्त कर दिया जाता है। अन्यथा, चार्जशीट सीधे अदालत में दाखिल कर दी जाती है।
न हाथ में हथकड़ी, न सलाखें…सीधा जुर्माना
यह थाना आम पुलिस थानों की तरह नहीं चलता। यहां थर्ड डिग्री, हिरासत या जेल नहीं होती। अपराध साबित होने पर आरोपी को सिर्फ आर्थिक दंड भुगतना पड़ता है। यही वजह है कि इस थाने में न तो बंदीगृह है और न ही हिरासत कक्ष। जैसे ही किसी इलाके में बिजली चोरी की सूचना मिलती है, विद्युत विभाग की टीम सिविल पुलिस के साथ छापेमारी करती है। विरोध या हंगामे की स्थिति में पुलिस बल सहायता करता है, लेकिन कार्रवाई आर्थिक दंड तक सीमित रहती है।
लोगों को चौंकाता है इस थाने का नियम
स्थानीय लोग जब इस थाने की कार्यप्रणाली के बारे में सुनते हैं, तो हैरान रह जाते हैं। उन्हें यह जानकर आश्चर्य होता है कि कोई थाना ऐसा भी हो सकता है जहां कानून सलाखों से नहीं, जेब से कसता है।
प्रदेशभर में बने हैं ऐसे विद्युत थाने
झांसी का यह थाना अकेला नहीं है। उत्तर प्रदेश के हर जिले में विद्युत विभाग ने ऐसे थानों की स्थापना की है, जो बिजली चोरी रोकने के उद्देश्य से विशेष रूप से बनाए गए हैं। इन थानों में तैनात पुलिस सिविल होती है, लेकिन उनका कामकाज पूरी तरह अलग शैली में होता है।