महंगा हुआ रेल टिकट, भड़क गईं मायावती, Indian Railway के फैसले पर क्रेंद्र सरकार को लिया आड़े हाथ, कहा- GST की तरह ही...

Edited By Purnima Singh,Updated: 01 Jul, 2025 07:08 PM

increasing railway fares is against public interest says mayawati

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने देश में रेल के किराये में वृद्धि को आम जनहित के खिलाफ करार देते हुए मंगलवार को कहा कि यह फैसला संविधान के कल्याणकारी उद्देश्य के बजाय केंद्र सरकार की व्यावसायिक सोच को दर्शाता है ....

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने देश में रेल के किराये में वृद्धि को आम जनहित के खिलाफ करार देते हुए मंगलवार को कहा कि यह फैसला संविधान के कल्याणकारी उद्देश्य के बजाय केंद्र सरकार की व्यावसायिक सोच को दर्शाता है। मायावती ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''जैसा कि विदित है कि जब देश की अधिकांश जनता अत्यधिक महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी एवं आय में कमी के कारण रोजमर्रा की भूख-प्यास से त्रस्त एवं दुखी है। तो ऐसी स्थिति में केंद्र द्वारा देश में रेल किराये में की गई वृद्धि आम जनता के हित के विरुद्ध लिया गया निर्णय प्रतीत होता है।'' 

'बेहतर होगा कि केंद्र सरकार इस पर तुरंत पुनर्विचार करे'
उन्होंने कहा कि यह संविधान के किसी कल्याणकारी उद्देश्य को पूरा करने के बजाय एक व्यापारिक सोच वाला निर्णय है। रेल मंत्रालय ने एक जुलाई से मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में गैर-वातानुकूलित श्रेणी के किराये में एक पैसा प्रति किलोमीटर और सभी वातानुकूलित श्रेणी में दो पैसा प्रति किलोमीटर की वृद्धि की है। मायावती ने आरोप लगाया कि 'राष्ट्र प्रथम' के नाम पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की तरह रेलवे के माध्यम से भी आम आदमी के दैनिक जीवन पर बोझ बढ़ाकर उसका शोषण बढ़ाने की जो प्रथा चल रही है, वह बेहद अनुचित है। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि केंद्र सरकार इस पर तुरंत पुनर्विचार करे। 

'आत्मसम्मान की जिंदगी जीने के लिए तरस रही आम जनता'
बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘देश के करोड़ों लोगों के लिए रेल यात्रा कोई फैशन, आनंद या पर्यटन नहीं, बल्कि एक बहुत ही कष्टकारी यात्रा है। देश में बढ़ती गरीबी, महंगाई, सम्मानजनक स्थायी रोजगार की भारी कमी के कारण लोगों को परिवार का पेट पालने के लिए घर-बार छोड़कर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ता है। '' उन्होंने कहा कि सरकार को उनके प्रति व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि उनके साथ सहानुभूति और कल्याणकारी व्यवहार करना चाहिए। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए सरकार को केवल अपने फायदे और मुट्ठीभर अमीर और समृद्ध लोगों की चिंता करने की बजाय देश के उन करोड़ों लोगों की उचित देखभाल करनी चाहिए जो आत्मसम्मान की जिंदगी जीने के लिए तरस रहे हैं...।'' 

'दिल्ली में गरीबों की झुग्गियों को बेरहमी से तोड़ा जा रहा' 
उन्होंने कहा कि देश की लगभग 95 करोड़ आबादी को सरकार की कम से कम एक सामाजिक कल्याण योजना का लाभार्थी बनने के लिए मजबूर किया गया है। दिल्ली की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि वह गरीबों और अन्य राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल से आजीविका के लिए पलायन करने वाले लोगों को बिना कोई अन्य व्यवस्था किए बेरहमी से विस्थापित करने का जनविरोधी रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में गरीब लोगों की झुग्गियों को इतनी बेरहमी से तोड़ा जा रहा है कि यह बहुत दुखद और शर्मनाक है जबकि दिल्ली सरकार का कहना है कि यह अदालत के आदेश पर किया जा रहा है। 

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