Edited By Mamta Yadav,Updated: 05 Sep, 2025 12:59 AM

अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी (एबीवीएमयू) के पहले दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों, अभिभावकों और संस्थानों के नाम एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों में मनमानी फीस वृद्धि पर नाराजगी जाहिर करते...
Lucknow News: अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी (एबीवीएमयू) के पहले दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों, अभिभावकों और संस्थानों के नाम एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों में मनमानी फीस वृद्धि पर नाराजगी जाहिर करते हुए स्पष्ट कहा कि राजभवन का दरवाजा छात्रों के लिए हमेशा खुला है। राज्यपाल ने कहा, “हर साल पांच लाख रुपये तक फीस बढ़ाना पूरी तरह गलत है। यदि कोई कॉलेज ऐसा कर रहा है तो छात्र और उनके अभिभावक सीधे राजभवन में शिकायत करें।” उन्होंने आगरा की एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह एक गरीब परिवार ने जमीन बेचकर फीस दी, लेकिन बच्चे की असामयिक मृत्यु के बाद कॉलेज ने पैसे लौटाने से मना कर दिया। राजभवन के हस्तक्षेप से ही उन्हें पैसा वापस मिल सका।
फीस, फाइन और यूनिवर्सिटी की मनमानी पर चेतावनी
राज्यपाल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बाराबंकी स्थित रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी की मान्यता और भारी जुर्मानों को लेकर विवाद चल रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को छात्रों का शोषण करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
किसानों की जमीन से बनी यूनिवर्सिटी, अब उनके लिए करें कुछ
अपने संबोधन में राज्यपाल ने यूनिवर्सिटी की स्थापना में किसानों के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यूनिवर्सिटी सबसे पहला दान किसानों से लेती है — उनकी जमीन। अब वक्त है कि उन्हें भी इसका प्रतिफल मिले।” उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय परिसर में किसानों या उनके परिवारों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं।
बेटियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
राज्यपाल ने मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान पर जोर देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोई भी अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और छात्राओं को भी भयमुक्त होकर राजभवन तक अपनी बात पहुंचानी चाहिए।
स्वास्थ्य और पोषण पर चिंता
बच्चों में बढ़ते मोटापे के आंकड़ों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि पहले जहां केवल 4% बच्चे मोटापे से ग्रसित थे, अब यह संख्या 25% तक पहुंच गई है। उन्होंने मेडिकल विश्वविद्यालयों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को एक महीने का पोषण और स्वास्थ्य संबंधी प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया। समारोह में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह भी मौजूद रहे। दोनों मंत्रियों ने राज्यपाल के विचारों का समर्थन करते हुए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।