Edited By Ajay kumar,Updated: 14 Feb, 2020 01:05 PM
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बाघों की बाहुल्यता दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के अतिरिक्त और कहीं नहीं दिखती। यही वजह है कि सैलानियों को यदि वास्तविक प्राकृतिक सौंदर्य दर्शन के साथ बाघ दर्शन की जरा सी भी चाहत हो...
लखीमपुर खीरी: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बाघों की बाहुल्यता दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के अतिरिक्त और कहीं नहीं दिखती। यही वजह है कि सैलानियों को यदि वास्तविक प्राकृतिक सौंदर्य दर्शन के साथ बाघ दर्शन की जरा सी भी चाहत होती है तो, वह लोग दुधवा को सबसे मुफीद समझते हुए बरबस चले आते हैं।
बता दें कि दुधवा की प्रकृति की गोद में अंगड़ाते, इठलाते चलते हुए बाघों को देखकर शायद ही कोई ऐसा सैलानी होगा जो बिना मंत्रमुग्ध हुए रह जाए। सैलानियों को जब भी बाघ के स्वछंद विचरण करते हुए दर्शन होते हैं तो वह उसकी हर एक गतिविधि को संजोकर रखने के लिए आतुर रहते हैं। यदि किसी की भी ऐसी ही कोई जिज्ञासा इस समय हो रही हो, तो वास्तव में गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुए यह सही समय लग रहा है। वैसे तो वन्य जीवों के साथ-साथ बाघ के दीदार ऐसे समय में होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं, जब तापमान में थोड़ी वृद्धि हो।
वहीं दुधवा के एफडी संजय पाठक के अनुसार वर्तमान दिनों में मौसम में अचानक परिवर्तन हो जाने के चलते अनुकूलन की स्थिति बन गई है। शायद इसीलिए इस समय दुधवा टाइगर रिजर्व में भ्रमण हेतु आ रहे पर्यटकों को खूब बाघ के दीदार हो रहे हैं। चाहे वह दुधवा का सलूकापुर प्रक्षेत्र हो अथवा किशनपुर क्षेत्र, हर जगह बाघ के दर्शन होने से जहां एक ओर पर्यटक रोमांचित हैं वहीं लोगों में पर्यटन भ्रमण करने की जिज्ञासाएं भी बढ़ने की पूर्ण संभावना है। पाठक ने बताया कि बाघों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता भी खासी बरती जा रही है। वहीं अब गर्म मौसम को दिखते हुए पानी की व्यवस्थाओं का भी प्रबंधन करना जरूरी हो गया है।