Edited By Pooja Gill,Updated: 17 Sep, 2024 01:53 PM
Flood In UP: उत्तर प्रदेश में गंगा नदी,केन नदी, चम्बल नदी, शारदा और यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसकी वजह से प्रदेश के फर्रुखाबाद, गोण्डा, बलिया, लखीमपुर खीरी , बाराबंकी , जालौन , सीतापुर, देवरिया, बांदा, गौतमबुद्धनगर तथा पीलीभीत जिले बाढ़...
Flood In UP: उत्तर प्रदेश में गंगा नदी,केन नदी, चम्बल नदी, शारदा और यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसकी वजह से प्रदेश के फर्रुखाबाद, गोण्डा, बलिया, लखीमपुर खीरी , बाराबंकी , जालौन , सीतापुर, देवरिया, बांदा, गौतमबुद्धनगर तथा पीलीभीत जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। लखीमपुर खीरी जिले में पलिया, बिजुआ, निघासन, धौरहरा और फूलबेहड़ इलाकों में बाढ़ से 250 गांवों के लोगों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। घरों में पानी भरा हुआ है। बच्चों को दूध और अन्य आवश्यक वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं। प्रशासन की ओर से खाने के पैकेट तो पहुंचाए जा रहे हैं। लेकिन, बाढ़ की वजह से लोगों की यह मुसीबतें कम नहीं हो रही। शवों को जलाने के लिए भी जगह नहीं है। शव को जलाने के लिए नाव में रखकर दूर तक का सफर तय करना पर रहा है।
चारपाई पर खाना बनाने को विवश है लोग
बता दें कि बाढ़ की वजह से पतिया ग्राम पंचायत के गांव भानपुरवा में तहसीलदार भीमचंद ने 200 लंच पैकेट, लेखपाल श्याम किशोर ने भदुरैहिया गदियाना में 150 और प्रधान इकराम अली ने पतिया गांव पश्चिम मोहल्ले में 50 लंच पैकेट वितरित किए। बल्लीपुर ग्राम पंचायत के गांव गोतेबाजपुरवा की स्थिति काफी दयनीय है। 25 से अधिक घरों के लोग आज भी छतों और चारपाई पर खाना बनाने को विवश है। गांव में आने जाने के रास्ते भी बाढ़ की वजह से बाधित है। यहां पर प्रशासन ने अभी तक राहत सामग्री नहीं पहुंचाई।
शव का अंतिम संस्कार करने के लिए किया 3 KM का सफर
लखीमपुर जिले में बाढ़ की तबाही के बीच एक दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां ग्रामीण के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए 3 किलोमीटर तक नाव का सहारा लेना पड़ा। जिले के लगभग डेढ़ सौ गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। आलम यह है, कि लोगों के पास खाना बनाने से लेकर अंतिम संस्कार करने तक को जगह नहीं बची है।सदर तहसील की फूलबेहड़ क्षेत्र का बसहा गांव भी बाढ़ में पूरी तरह से डूबा हुआ है। बाढ़ की भिभिषिका के बीच गांव के ही रामस्वरूप की मौत हो गई। हर जगह पानी होने की वजह से राम स्वरूप के शव के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। परिजन नाव पर रामस्वरूप का शव रखकर तटबंध पर पहुंचे और अंतिम संस्कार किया।