6 दिसंबर 1992 को दहल उठी थी अयोध्या, जब दोनों कौमों के लोगों ने की थी एक-दूसरे की हिफाजत

Edited By Anil Kapoor,Updated: 05 Dec, 2018 03:01 PM

december 6 1992 when people of both communities had taken care of each other

अयोध्या में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब पूरे प्रदेश में नफरत की आग लगी थी, उस नाजुक मौके पर कुछ नेक बंदे ऐसे भी थे जो अमन के काम में लगे थे और हालात सामान्य होने तक लोगों की मदद करते रहे।

लखनऊ: अयोध्या में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब पूरे प्रदेश में नफरत की आग लगी थी, उस नाजुक मौके पर कुछ नेक बंदे ऐसे भी थे जो अमन के काम में लगे थे और हालात सामान्य होने तक लोगों की मदद करते रहे। मुस्लिम बाहुल्य इलाके पुराने लखनऊ में शिया पर्सनल ला बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास रहते हैं। उन्होंने उस दौरान अनेक हिन्दू भाईयों की रक्षा की और उनके लिए भोजन-पानी का इंतजाम किया। इसी तरह इस इलाके में भाजपा से ताल्लुक रखने वाले तारिक दुर्रानी की रक्षा हिन्दू कार्यकर्ताओं ने की और उस हिंसा भरे माहौल में उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षित रखा।

PunjabKesariकरीब 25 साल पहले की घटना को याद करते हुए अब्बास ने बताया कि हम पुराने लखनऊ के नक्खास इलाके में रहते हैं। जब बाबरी मस्जिद गिराई गई और इसकी खबरे आने लगी तो माहौल तनावपूर्ण हो गया। चारों ओर अल्लाह हो अकबर के नारों की आवाज सुनाई देने लगी। वह बताते हैं कि हमारे घर का एक दरवाजा मुस्लिम इलाके में खुलता है जबकि दूसरा दरवाजा हिन्दू इलाके में। वहां 15 से 20 हिन्दू परिवार रहते थे, जैसे ही बाबरी मस्जिद गिराए जाने की खबर फैली, वह हिन्दू परिवार खौफ में आ गए और उन्हें अपनी जान का खतरा लगने लगा। लेकिन मेरे पिता के हस्तक्षेप के कारण उन परिवारों और उस इलाके के लोगों के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

PunjabKesariअब्बास ने दावा कि उनकी मां ने हिन्दू परिवारों के लिए खिचड़ी बनाई। सभी परिवार स्थिति समान्य होने तक वहां पूरी तरह सुरक्षित रहे। अब्बास से जब अयोध्या पर उनके विचार पूछे गए तो उन्होंने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, अदालत के फैसले को सभी को मानना चाहिए। शहर की पॉश कालोनी सप्रू मार्ग के रहने वाले तारिक दुर्रानी के अनुसार दिसंबर 1992 में उनकी कालोनी में भी स्थिति काफी तनावपूर्ण थी।

PunjabKesariउप्र भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े तारिक ने बताया कि मैं 6 दिसंबर को लखनऊ में ही था, मैं भाजपा कार्यालय में पार्टी नेता जीडी नैथानी के साथ बैठा था तभी बाबरी मस्जिद की खबर आई। मैं कुछ चिंतित था क्योंकि माहौल खराब हो रहा था। नैथानी भी मेरे और मेरे परिवार को लेकर चिंतित थे क्योंकि जिस इलाके में मैं रहता था वहां मैं अकेला मुस्लिम था।

PunjabKesariतारिक ने बताया कि उन्होंने कुछ युवाओं को मेरे घर की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी। वह युवा अगले 4-5 दिन तक स्थिति सामान्य होने तक मेरे घर की रक्षा करते रहे। 56 साल के व्यापारी दुर्रानी से जब अयोध्या मसले के समाधान के बारे में उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि जहां पर मूर्ति स्थापित हो गई है, वहां कोई मुस्लिम नमाज नहीं पढ़ सकता। इसलिए विवादित स्थल हिन्दुओं को सौंप देना चाहिए ताकि वह वहां पर राम मंदिर बना सकें।

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