न्याय की कुर्सी पर लापरवाही भारी: तीन लाइन में सुनाया फैसला, हाईकोर्ट ने जज को थमा दी ट्रेनिंग की चिट्ठी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 27 Apr, 2025 06:58 AM

considering inability to write judgements adj was sent for 3 months training

Prayagraj News: निर्णय लिखने में एक न्यायिक अधिकारी की अक्षमता को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर नगर के अपर जिला न्यायाधीश को न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान में 3 महीने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने का निर्देश दिया है। कानपुर नगर...

Prayagraj News: निर्णय लिखने में एक न्यायिक अधिकारी की अक्षमता को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर नगर के अपर जिला न्यायाधीश को न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान में 3 महीने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने का निर्देश दिया है। कानपुर नगर की मुन्नी देवी नामक एक महिला की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने यह आदेश पारित किया। किरायेदारी के एक विवाद में कुछ अतिरिक्त आधार जोड़ने पर याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी गई थी।

3 लाइन में फैसला, दिमाग का इस्तेमाल कहां?’ – वकील ने उठाए सवाल
मिली जानकारी के मुताबिक, उक्त आदेश की आलोचना करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि माननीय न्यायाधीश ने संशोधन के आवेदन पर निर्णय करते समय दिमाग नहीं लगाया और महज बहस दर्ज कर 3 लाइन के आदेश में संशोधन आवेदन को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उक्त आदेश में इस बारे में एक लाइन तक नहीं लिखी गई कि संशोधन आवेदन को क्यों खारिज किया गया है।

जज की गलती पर हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई: तीन महीने की ट्रेनिंग का आदेश
याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि इससे पूर्व इन्हीं न्यायाधीश डॉक्टर अमित वर्मा ने इसी तरह की गलती की थी। जिला अदालत द्वारा पारित आदेश पर गौर करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत का विचार है कि अपर जिला न्यायाधीश (कानपुर नगर) अमित वर्मा निर्णय लिखने में अक्षम हैं, इसलिए इन्हें कम से कम 3 महीने के प्रशिक्षण के लिए लखनऊ स्थित न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान भेजा जाना आवश्यक है।

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