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सीएम योगी ने फिर सुनाई सपा को दो टूक, कहा- अकबर हो या औरंगजेब, सबकी मानसिकता एक

Edited By Ramkesh,Updated: 08 Mar, 2025 07:48 PM

cm yogi again gave a befitting reply to sp everyone s mentality is the same

मुगल शासक औरंगजेब को लेकर छिड़ी देशव्यापी बहस के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि अकबर हो या औरंगजेब, हिन्दुओं के प्रति सबकी मानसिकता एक ही थी। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आजमी को मुगल...

गौतमबुद्ध नगर: मुगल शासक औरंगजेब को लेकर छिड़ी देशव्यापी बहस के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि अकबर हो या औरंगजेब, हिन्दुओं के प्रति सबकी मानसिकता एक ही थी। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आजमी को मुगल बादशाह औरंगजेब की प्रशंसा करने वाली टिप्पणी के कारण बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा से 26 मार्च को समाप्त होने वाले बजट सत्र की शेष अवधि के लिये निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद औरंगजेब को लेकर प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दादरी में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।

अकबर कभी नायक नहीं हो सकता
उन्होंने इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “अकबर हो या औरंगजेब, हिन्दुओं के प्रति सबकी मानसिकता एक ही थी।” एक आधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे आदर्श और राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह जी महाराज हैं, ना कि अकबर या औरंगजेब।” मुख्यमंत्री ने कहा कि “अकबर कभी नायक नहीं हो सकता। इन्होंने भारत की सनातन परंपरा को रौंदने के लिए तमाम षड्यंत्र रचे। इसके विपरीत, महाराणा प्रताप ने अपने बलिदान से सनातन संस्कृति की रक्षा की।

गुरु गोविंद सिंह को सीमए योगी ने बताया नायक
 योगी ने छत्रपति शिवाजी महाराज और गुरु गोविंद सिंह का भी बार-बार उल्लेख किया और कहा कि “ये राष्ट्रनायक हमारी प्रेरणा हैं। जो इनका सम्मान नहीं करते, वे विकृत मानसिकता के शिकार हैं और उन्हें उपचार की जरूरत है।” योगी ने महाराणा प्रताप के स्वाभिमान, स्वधर्म और स्वदेश के प्रति अद्वितीय समर्पण को याद करते हुए उन्हें सच्चा राष्ट्रनायक करार दिया। बयान के अनुसार राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) परिसर में महाराणा प्रताप स्टेडियम में आयोजित इस भव्य समारोह में मुख्यमंत्री ने उनकी वीरता की गाथा को विस्तार से बयां किया। मुख्यमंत्री ने राणा सांगा की वीरता का भी जिक्र किया। योगी ने जनसभा स्थल से ही गौतमबुद्ध नगर के लिए 1,467 करोड़ रुपये की 97 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया।

 महाराणा प्रताप ने सत्ता के सामने झुकने की बजाय, स्वाभिमान को चुना
 मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में महाराणा प्रताप के जीवन और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने स्वदेश और स्वधर्म के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। तनिक स्वार्थ के लिए सत्ता के सामने झुकने की बजाय, उन्होंने स्वाभिमान को चुना। योगी ने कहा कि चित्तौड़ के राजवंश में जन्में और कुम्भलगढ़ में पैदा हुए महाराणा प्रताप ने मात्र 28 साल की उम्र में अकबर जैसे विशाल साम्राज्य से पहला युद्ध लड़ा। योगी ने हल्दीघाटी की प्रसिद्ध लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि 20 हजार सैनिकों के साथ लाखों की सेना का मुकाबला करने वाला योद्धा ही हमारा सच्चा नायक हो सकता है। हल्दीघाटी ने उन्हें राष्ट्रनायक का दर्जा दिया।

महाराणा प्रताप ने अकबर को घुटने टेकने पर मजबूर किया
उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने अपने जीवनकाल में मेवाड़ के खोए हुए क्षेत्रों को वापस लेकर अकबर को घुटने टेकने पर मजबूर किया, उनके घोड़े चेतक की स्वामिभक्ति भी अद्भुत थी। योगी ने कहा कि मौजूदा समय में भी हल्दीघाटी की मिट्टी को लोग तीर्थ के रूप में सम्मान देते हैं। यह भारत की महान परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने ब्रजभूमि के रंगोत्सव पर कहा कि विदेशी आश्चर्यचकित हैं कि भारत में कोई भेदभाव नहीं, सब एक साथ रंगों में सराबोर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन की सराहना करते हुए कहा कि आस्था और आजीविका के नए स्रोत खुल रहे हैं। हमारी संस्कृति हमारी समृद्धि का आधार बन रही है।

हर सनातनी त्रिवेणी के पवित्र जल को आस्था के रूप में देखता है
उन्होंने कहा कि श्रीराम, श्रीकृष्ण, महादेव, मां गंगा और मां यमुना की कृपा के साथ ही अब उत्तर प्रदेश पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी बरस रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ महाकुम्भ को लेकर विधर्मियों ने जितनी अफवाह फैलाने की कोशिश की, सनातन धर्मावलम्बियों ने उतनी ही अधिक संख्या में प्रयागराज पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई। गंगाजल को दूषित बताया गया, मगर शायद उन्हें पता नहीं कि बहता पानी और रमता जोगी कभी अशुद्ध नहीं होता। हर सनातनी त्रिवेणी के पवित्र जल को आस्था के रूप में देखता है।
 

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