Edited By Ramkesh,Updated: 11 Dec, 2025 07:26 PM

माघ मेले के इतिहास में पहली बार आध्यात्मिकता, ज्योतिष, संस्कृति और सनातन परंपरा के दर्शन को एक साथ अभिव्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री स्तर से माघ मेला-2026 का आधिकारिक लोगो जारी किया गया है। यह लोगो न सिर्फ तीर्थराज प्रयाग की दिव्यता को दर्शाता है,...
प्रयागराज: माघ मेले के इतिहास में पहली बार आध्यात्मिकता, ज्योतिष, संस्कृति और सनातन परंपरा के दर्शन को एक साथ अभिव्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री स्तर से माघ मेला-2026 का आधिकारिक लोगो जारी किया गया है। यह लोगो न सिर्फ तीर्थराज प्रयाग की दिव्यता को दर्शाता है, बल्कि संगम की तपोभूमि पर माघ मास में किए जाने वाले अनुष्ठानों की आध्यात्मिक महत्ता को भी कलात्मक रूप से प्रस्तुत करता है।
लोगो के केंद्र में सूर्य और चंद्रमा की 14 कलाओं का चित्रण किया गया है, जो भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की सटीक स्थितियों को दर्शाता है। इसी ज्योतिषीय गणना के आधार पर माघ मास की निर्धारण प्रक्रिया होती है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा माघी या अश्लेषा-पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के समीप होता है, तब माघ मेला पड़ता है। यही समय आध्यात्मिक ऊर्जा के उदय का विशेष काल माना जाता है।
लोगो में दर्शाई गई 14 चंद्र कलाएँ मानसिक ऊर्जा, मनोवैज्ञानिक संतुलन और आध्यात्मिक साधना के प्रतीक हैं। माघ मास में शुक्ल पक्ष की वृद्धि साधना और तपस्या के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इसी कारण माघ मेला स्नान, दान, जप-तप और कल्पवास की श्रेष्ठ परंपरा का पर्व है, जो शरीर-मन को पवित्र कर दिव्य ऊर्जा से भरने का अवसर प्रदान करता है।
लोगो में प्रयागराज के अक्षयवट का भी विशेष स्थान है, जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त प्रतीक माना जाता है। इसका दर्शनीय स्वरूप महात्माओं और कल्पवासियों के लिए मोक्ष मार्ग का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही लेटे हुए हनुमान जी, संगम क्षेत्र की पहचान बन चुके साइबेरियन पक्षी, तथा श्लोक “माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् ततः” लोगो में आस्था और परंपरा के गहराई से जुड़े तत्वों को दर्शाते हैं। यह लोगो मेला प्राधिकरण द्वारा नियुक्त डिजाइन कंसल्टेंट अजय सक्सेना और प्रागल्भ अजय द्वारा तैयार किया गया है।