Edited By Umakant yadav,Updated: 15 Jun, 2021 11:33 PM
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गंगा घाट पर 67 शवों को बहाने एवं उसे जेसीबी मशीन से गाड़ने के सम्बंध में दर्ज मुकदमें के आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने मंगलवार को दुबहड़ थाने पहुंचे और अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि लोक लोकतंत्र...
बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गंगा घाट पर 67 शवों को बहाने एवं उसे जेसीबी मशीन से गाड़ने के सम्बंध में दर्ज मुकदमें के आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने मंगलवार को दुबहड़ थाने पहुंचे और अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि लोक लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी का सबको अधिकार है। मेरे द्वारा किए गए ट्वीट पर एफआईआर की कोई स्थिति नही बनती। मुझे परेशान करने की साजिश रची जा रही है।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी पर बलिया में गंगा घाट पर 67 शवों को बहाने एवं उसे जेसीबी मशीन से गाड़ने के संबंध में ट्वीट करने के मामले में 12 मई को बलिया कोतवाली में एफआईआर दर्ज किया गया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद होने के बाद दुबहड़ थाना प्रभारी अनिलचंद्र तिवारी को इसका विवेचना अधिकारी नियुक्त किया गया था। विवेचना अधिकारी ने बयान दर्ज कराने के लिए सिंह को 15 जून को दुबहड़ थाने में बुलाया था। इस क्रम में पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह अपना बयान दर्ज कराने मंगलवार शाम दुबहड़ थाना पहुंचे थे। अपना बयान दर्ज कराने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी का सबको अधिकार है। मेरे द्वारा जो ट्वीट किया गया है, उसमें कहीं से भी मुकदमा दर्ज करने की स्थिति नहीं बनती है। क्योंकि मेरे ट्वीट में जिन शवों का फोटो लगाया गया है, वह एक प्रतीकात्मक मात्र है। इसके अलावा एक ही मामले में मेरे ऊपर उत्तर प्रदेश राज्य में ही दो जगह मुकदमा दाखिल किया गया है। जबकि किसी एक अपराध में एक ही व्यक्ति पर कहीं भी एक जगह मुकदमा दाखिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा ‘‘ मेरे ट्वीट में कहीं से भी जनमानस के प्रति कोई भय का माहौल उत्पन्न नहीं हुआ है। यह सीधे-सीधे मुझे परेशान करने की साजिश रची जा रही है। जबकि इस कोरोना वायरस संक्रमण काल में मेरा बयान वर्चुअल माध्यम से भी लखनऊ से भी कराया जा सकता था। लेकिन मुझे इस कोविड-19 काल के समय में भी जान बूझकर परेशान किया जा रहा है।''