Edited By Anil Kapoor,Updated: 05 Mar, 2025 09:01 AM

Prayagraj News: महाकुंभ, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, इस बार नाविकों की सफलता की कहानी भी सामने आई है। लगभग 20,000 नाविकों ने संगम में श्रद्धालुओं को पुण्य की डुबकी लगवाकर ना केवल अपने परिवारों का भरण-पोषण किया, बल्कि कई...
Prayagraj News: महाकुंभ, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, इस बार नाविकों की सफलता की कहानी भी सामने आई है। लगभग 20,000 नाविकों ने संगम में श्रद्धालुओं को पुण्य की डुबकी लगवाकर ना केवल अपने परिवारों का भरण-पोषण किया, बल्कि कई परिवारों ने आर्थिक समृद्धि की भी कहानी लिखी।
CM योगी का बयान- नाविकों का नहीं हुआ शोषण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में महाकुंभ के दौरान नाविकों की भूमिका को लेकर विपक्ष के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने उदाहरण के साथ बताया कि सरकार ने कभी भी नाविकों का शोषण नहीं किया। उन्होंने एक नाविक परिवार का उदाहरण दिया, जिसने 130 नावों के साथ 45 दिनों में 30 करोड़ रुपए की शुद्ध कमाई की। इसका मतलब यह हुआ कि एक नाव ने 45 दिनों में 23 लाख रुपए कमाए। यह महाकुंभ के दौरान रोजगार आधारित आय में वृद्धि का एक स्पष्ट उदाहरण है।
महाकुंभ ने बढ़ाए रोजगार के अवसर
मुख्यमंत्री ने बताया कि महाकुंभ के आयोजन ने धार्मिक महत्व के साथ-साथ रोजगार के कई अवसर भी प्रदान किए। इस मेले में 3,500 से अधिक नावों के संचालन के दौरान डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं को संगम में स्नान कराया गया, जो एक ऐतिहासिक घटना है।
स्थानीय और बाहरी नाविकों की भूमिका
महाकुंभ के दौरान स्थानीय नाविकों के साथ ही मीरजापुर, भदोही, वाराणसी, कानपुर, अयोध्या, और कौशांबी जैसे जिलों के नाविकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नाविक संघ का बयान
नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू लाल निषाद ने कहा कि यह मेला हमारे लिए मां गंगा और यमुना का आशीर्वाद साबित हुआ। एक छोटी नाव से तीन परिवारों का भरण-पोषण हो सकता है, जबकि बड़ी नाव से पांच परिवार अपना जीवन यापन करते हैं।
नाविकों की कमाई
नाविकों की कमाई के बारे में पप्पू लाल निषाद ने बताया कि महाकुंभ के दौरान एक नाविक की न्यूनतम आय प्रति दिन करीब 15,000 रुपए रही।
CM योगी की घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सफाई अभियान के साथ-साथ सुरक्षा और स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान समारोह का भी उल्लेख किया। इसके साथ ही, उन्होंने नाविकों के लिए एक पैकेज की घोषणा भी की, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को और सुदृढ़ किया जा सके। इस तरह, महाकुंभ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि रोजगार और आर्थिक समृद्धि के नए अवसर भी उत्पन्न हुए।