कौन हैं पंकज चौधरी जिन्हें बीजेपी बना रही यूपी का प्रदेश अध्यक्ष? जानिए उनका राजनीतिक सफर

Edited By Ramkesh,Updated: 13 Dec, 2025 07:11 PM

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भाजपा कार्यालय में पार्टी की उप्र इकाई के अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।किसी अन्य के पर्चा दाखिल नहीं करने की वजह से उनका इस पद के लिए निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। अब बड़ा सवाल है कि बीजेपी ने पंकज चौधरी को क्यों चुना अध्यक्ष पद...

लखनऊ: भाजपा कार्यालय में पार्टी की उप्र इकाई के अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।किसी अन्य के पर्चा दाखिल नहीं करने की वजह से उनका इस पद के लिए निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। अब बड़ा सवाल है कि बीजेपी ने पंकज चौधरी को क्यों चुना अध्यक्ष पद के लिए। आइए आप को विस्तार से बताते हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में पार्टी भाजपा की गैर-यादव ओबीसी रणनीति का अहम चेहरा मानकर पंकज चौधरी के हाथ में कमान सौंपी है।

महाराजगंज से सात बार के सांसद है पंकज चौधरी
पंकज चौधरी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार के सांसद है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार पंकज चौधरी को पार्टी की गैर-यादव ओबीसी रणनीति का अहम चेहरा माना जा रहा है। 20 नवंबर 1964 को गोरखपुर में जन्मे पंकज चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद चुनाव से की थी।

गोरखपुर के डिप्टी मेयर रहे पंकज
गोरखपुर से अलग होकर महाराजगंज नया जिला बना, जिसे उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया। वे गोरखपुर के डिप्टी मेयर भी रहे। पंकज चौधरी पहली बार 1991 में महाराजगंज लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद 1996, 1998, 2004, 2019 और 2024 में उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें, तो उनका राजनीतिक सफर लगातार सफलता की मिसाल रहा है।

ओबीसी वोटबैंक को मजबूत करना चाहती है बीजेपी
पूर्वांचल में उनका प्रभाव कुर्मी ओबीसी सवर्ण सामाजिक समीकरण के तौर पर देखा जाता है। कुर्मी समुदाय उत्तर प्रदेश में यादवों के बाद दूसरा सबसे बड़ा ओबीसी वोटबैंक माना जाता है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 7 से 10 प्रतिशत बताई जाती है। पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड की करीब 40-50 विधानसभा सीटों पर कुर्मी वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हाल के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को 33 सीटों का नुकसान हुआ है।

राहत रूह ऑयल कंपनी के मालिक हैं पंकज चौधरी
2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी गैर-यादव ओबीसी वोटों को फिर से एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावित घोषणा को इसी रणनीति का बड़ा कदम माना जा रहा है। संगठन और रणनीति दोनों में मजबूत माने जाने वाले पंकज चौधरी व्यवसाय से भी जुड़े हैं और राहत रूह ऑयल कंपनी के मालिक हैं। भाजपा में इससे पहले विनय कटियार, स्वतंत्र देव सिंह और ओम प्रकाश सिंह तीन कुर्मी नेता प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।

भाजपा के चौथे कुर्मी प्रदेश अध्यक्ष होंगे पंकज
यदि पंकज चौधरी के नाम पर मुहर लगती है, तो वे भाजपा के चौथे कुर्मी प्रदेश अध्यक्ष होंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पंचायत और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने कुर्मी समाज से आने वाले नेता पर दांव लगाया है। लोकसभा चुनाव में कुर्मी समाज का एक हिस्सा‘पीडीए'के नाम पर समाजवादी पार्टी की ओर गया था। इसे देखते हुए भाजपा नेतृत्व इस सामाजिक आधार को फिर से अपने पक्ष में मजबूत करने की कोशिश में जुटा है।

30-40 सीटों पर कुर्मी वोटर है प्रभाव
इसे गैर यादव ओबीसी वोटों को एकजुट करने की भाजपा की कवायद माना जा रहा है। 2024 लोक सभा चुनाव में अखिलेश यादव के पीडीए दांव से झटका लगा था.राज्य में ओबीसी वोटरों में यादव के बाद कुर्मी सर्वाधिक हैं। करीब आठ से दस प्रतिशत कुर्मी वोटर राज्य की 30-40 सीटों पर प्रभाव डालते हैं।.तराई, काशी, गोरखपुर, अवध, रूहेलखंड में कुर्मी वोटों का प्रभाव है। 

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