Edited By Mamta Yadav,Updated: 29 Mar, 2023 08:31 PM
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार (Government) ने शहरी निकाय चुनाव (Urban body elections) को लेकर प्रदेश पिछड़ा आयोग (State Backward Commission) द्वारा की गई सिफारिशों को समायोजित करने हेतु उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) नगर निगम (Municipal council)...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार (Government) ने शहरी निकाय चुनाव (Urban body elections) को लेकर प्रदेश पिछड़ा आयोग (State Backward Commission) द्वारा की गई सिफारिशों को समायोजित करने हेतु उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) नगर निगम (Municipal council) एवं नगर पालिका के नियमों में संशोधन के लिये बुधवार को अध्यादेश (Ordinance) को मंजूरी दी। अब 48 घंटों में निकाय चुनाव (Nikay Chunav) की अधिसूचना जारी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव की प्रक्रिया आरंभ
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ए.के. शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने इस संबंध में शहरी विकास विभाग के प्रस्ताव को पारित कर दिया। उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद ने "आयोग की सिफारिशों के आलोक में उत्तर प्रदेश नगर निगम और नगर पालिका नियमों में संशोधन के लिए अध्यादेश" जारी करने को मंजूरी दे दी है। शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हो गयी है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका और नगर निगम अधिनियम में संशोधन को राज्य मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है और अब जल्द ही इसे राज्यपाल को भेजा जाएगा।
आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 9 मार्च को रिपोर्ट सौंपी
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत सोमवार को उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया था और राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी थी। शर्मा ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना पांच दिसंबर 2022 को जारी की गई थी, लेकिन इस कदम के खिलाफ अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने के लिए सभी मुद्दों पर विचार करने के वास्ते 28 दिसंबर को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग नियुक्त किया था। आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नौ मार्च को रिपोर्ट सौंपी और इसे 10 मार्च को मंत्रिपरिषद ने स्वीकार कर लिया था।