BJP के पूर्व विधायक विक्रम सैनी की बढ़ीं मुश्किलें, 2013 के सांप्रदायिक दंगा मामले में  27 के खिलाफ आरोप तय

Edited By Ramkesh,Updated: 06 Jun, 2023 07:54 PM

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Vikram Saini जिले में 2013 के सांप्रदायिक दंगा मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक विक्रम सैनी समेत 27 लोगों के खिलाफ विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप तय किये हैं। मामले में अगली...

मुजफ्फरनगर: जिले में 2013 के सांप्रदायिक दंगा मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक विक्रम सैनी समेत 27 लोगों के खिलाफ विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप तय किये हैं। मामले में अगली सुनवाई 21 जून को होगी। मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित मामले में विशेष सांसद/विधायक अदालत ने विभिन्न धर्मों के बीच शत्रुता फैलाने के आरोप में सैनी और 26 अन्य के खिलाफ आरोप तय किए। सैनी को पहले ही इस मामले के अन्य आरोपों में दोषी ठहराया जा चुका था, जिसके चलते वह जिले के खतौली क्षेत्र से अपने विधानसभा सदस्यता गंवा चुके हैं।

पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (धर्म, जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने) के तहत आरोप पत्र दायर किया, जिसकी सुनवाई मंगलवार को हुई। सुनवाई के समय सैनी सहित सभी 27 आरोपी अदालत में उपस्थित थे। सहायक अभियोजन अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि सांसद-विधायक अदालत के विशेष न्‍यायाधीश मयंक जायसवाल ने सैनी समेत 27 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत आरोप तय कर मामले में अगली सुनवाई के लिए 21 जून की तारीख तय किया है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 28 अगस्त, 2013 को मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक संघर्ष के मामले में पुलिस ने सैनी सहित 27 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सैनी तथा 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव और सचिन तथा शाहनवाज नामक युवकों की हत्या की गयी थी।

इस घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था। गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों को आग लगा दी थी। इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी। कवाल कांड के बाद सितम्बर 2013 में मुजफ्फरनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे तथा 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर—बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था। सैनी और 11 अन्य को पहले ही 11 अक्टूबर, 2022 को अन्य आरोपों में दोषी ठहराया जा चुका था।

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