Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 21 Jun, 2021 08:51 PM
बम-पटाखे, घोड़ा, बग्गी धूम-धड़ाका ये बारात के नॉर्मल नियम बन चुके हैं। मतलब कि अगर ये नहीं तो मानो कि बारात ही अधूरा है। मगर उत्तर प्रदेश के देवरिया
देवरियाः बम-पटाखे, घोड़ा, बग्गी धूम-धड़ाका ये बारात के नॉर्मल नियम बन चुके हैं। मतलब कि अगर ये नहीं तो मानो कि बारात ही अधूरा है। मगर उत्तर प्रदेश के देवरिया में विलुप्त हो चुके पुराने जमाने का बारात सिस्टम देखने को मिला। जिधर से भी ये बारात निकला लोगों ने बस बिना थके तारीफ ही की। दरअसल इस बारात में दूल्हे राजा पालकी से अपनी दुल्हनिया लेने पहुंचे। इतना ही नहीं 11 बैल गाड़ियों पर ठाठ से बाराती भी आकर्षण का केंद्र बन गए।
बता दें कि मामला रामपुर कारखाना के कुशहरी गांव का है। जहा के निवासी छोटेलाल पाल धनगर की शादी जिले के दल गांव के रामानंद पाल धनगर की पुत्री सरिता से तय हुई। रविवार को बारात रवाना होनी थी। इसके लिए कुशहरी में पिछले एक सप्ताह से तैयारी चल रही थी। छोटेलाल ने अपनी बारात पुराने रीति-रिवाज और परंपरा से निकालने की जानकारी दुल्हन पक्ष को पहले ही दे दिया था। सुबह 11 बैल गाड़ियां सज-धज कर छोटे लाल के दरवाजे पर पहुंची तो लोग देखते ही रह गए। सभी बैलगाड़ी खास अंदाज में पीले कपड़े की छतरी से सजी थी। रिश्तेदार और बाराती भी सुबह ही पहुंच गए। जो लोग उत्सुक थे उन्हें घरातियों ने बताया कि बारात 22 किलोमीटर दूर बैलगाड़ी से ही जानी है सो सुबह ही निकलना पड़ा।
इतना ही नहीं पुराने समय की छाप छोड़ने वाले इस बारात में आगे-आगे बैंडबाजे की जगह लोक कलाकार फर्री नृत्य कर रहे थे। गांव में बूढ़े-बुजुर्ग जहां दौड़ते-भागते हुए परछावन देखने पहुंचे वहीं बच्चों के लिए यह बारात किसी अचम्भे से कम नहीं थी। करीब घंटे भर तक गांव में काली माई, बरम बाबा के पास परछावन की रस्म पूरी हुई। इसके बाद छोटेलाल पालकी से उतर कर एक बैलगाड़ी में सवार हुए। इसके बाद खास अंदाज में इनकी बारात दुल्हन को लाने के लिए पकड़ी बाजार के लिए रवाना हुई।