यूपी पुलिस की कार्यशैली से नाराज सुप्रीम कोर्ट, कहा- ऐसा कठोर आदेश देंगे कि सारी जिंदगी याद रहेगा

Edited By Ramkesh,Updated: 28 Nov, 2024 06:13 PM

supreme court angry with the working style of up police

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यूपी पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यूपी पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है, उसे संवेदनशील बनाने की जरूरत है। दरअसल, न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल...

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यूपी पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यूपी पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है, उसे संवेदनशील बनाने की जरूरत है। दरअसल, न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने मामले की सुनवाई की और पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं। याचिका कर्ता को डर है कि अगर वह जांच के लिए पेश हुआ तो उसके खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया जाएगा।

ऐसा कठोर आदेश देंगे कि  सारी जिंदगी याद रहेगा: सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही वो अनुराग दुबे उर्फ डब्बन को छूआ गया तो हम ऐसा कठोर आदेश देंगे कि  सारी जिंदगी याद रहेगा। हर बार आप उसके खिलाफ एक नई FIR लेकर आते हैं। अधिकारी यह समझ नहीं रहे हैं कि वह एक खतरनाक क्षेत्र में दाखिल हो रहे हैं। याचिकाकर्ता पर एक के बाद एक मामले दर्ज किए जा रहे हैं. एक मामले में तो रजिस्ट्री के ज़रिए खरीद के बावजूद ज़मीन पर कब्ज़े का केस बना दिया गया है।

कोर्ट के बिना अनुमति के  पुलिस हिरासत में नहीं लेगी
कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी द्वारा उसके मोबाइल फोन पर दिए गए किसी भी नोटिस का पालन करे। हालांकि,अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा। इससे पहले,अदालत ने एफआईआर आईपीसी की धारा 323,386,447,504 और 506 के तहत को रद्द करने के संबंध में याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। हालांकि,याचिकाकर्ता अनुराग दुबे के खिलाफ दर्ज अन्य मामलों और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यूपी राज्य को नोटिस जारी किया गया कि अग्रिम जमानत क्यों न दी जाए।

 झूठा मामला न दर्ज करे पुलिस
अदालत ने संबंधित एफआईआर में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। बशर्ते वह जांच में शामिल हो और सहयोग करे। आज वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी यूपी राज्य के लिए ने बताया कि न्यायालय के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ और इसके बजाय एक हलफनामा भेजा। यह सुनते हुए न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि यूपी पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर देगी। वह शायद इसलिए पेश नहीं हो रहा होगा क्योंकि उसे पता है कि आप कोई और झूठा केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लेंगे।

 याचिकाकर्ता के मोबाइल पर एक संदेश भेजा जाए जो हर समय चालू रहे
पीठ ने दुबे के वकील अभिषेक चौधरी से भी पूछा कि वे क्यों पेश नहीं हो रहे हैं। वकील ने जवाब दिया कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है, हालांकि,दुबे ने पुलिस अधिकारियों को अपना मोबाइल नंबर दिया है,ताकि वे उन्हें सूचित कर सकें कि उन्हें कब और कहां पेश होना है। इस बिंदु पर,न्यायमूर्ति भुयान ने मुखर्जी से संचार के उस तरीके के बारे में पूछा जिसके द्वारा दुबे को पेश होने के लिए कहा गया था। जब उन्हें बताया गया कि एक पत्र भेजा गया था,तो पीठ ने टिप्पणी की कि आजकल सब कुछ डिजिटल हो गया है और सुझाव दिया कि दुबे के मोबाइल पर एक संदेश भेजा जाए जो हर समय चालू रहेगा।

गिरफ्तारी की जरूरत हो तो हमें बताएं
 जिसमें यह विवरण दिया जाए कि उन्हें कहां पेश होना है यह चेतावनी देते हुए कि पुलिस अधिकारी स्वयं दुबे को गिरफ्तार नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति कांत ने कहा उसे जांच में शामिल होने दें लेकिन उसे गिरफ्तार न करें और अगर आप सच में सोचते हैं कि किसी खास मामले में गिरफ्तारी ज़रूरी है तो आइए और हमें बताइए कि ये कारण हैं लेकिन अगर पुलिस अधिकारी ऐसा कर रहे हैं,तो आप हमसे यह ले लीजिए,हम न सिर्फ़ उन्हें निलंबित करेंगे,बल्कि उन्हें कुछ और भी खोना पड़ेगा। 

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