Edited By Deepika Rajput,Updated: 12 Oct, 2019 10:45 AM
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में कम समय बचा है। ऐसे में प्रत्याशी प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसी कड़ी में सपा के कद्दावर नेता सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर प्रत्याशी तंजीम फातिमा के समर्थन में वोट अपील करने के...
रामपुर: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में कम समय बचा है। ऐसे में प्रत्याशी प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसी कड़ी में सपा के कद्दावर नेता सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर प्रत्याशी तंजीम फातिमा के समर्थन में वोट अपील करने के लिए विशाल जलसा किया। जलसे में सैकड़ों की तादाद में सपा समर्थकों पहुंचे। यहां संबोधन के दौरान आजम खान ने जनता के सामने अपना दर्द बयान किया।
आजम ने भावुक होते हुए कहा मेरा गुनाह क्या है इंसानियत और इंसानों के लिए लड़ने वाला एक बेसहारा शख्स आज से तकरीबन 45 बरस तक तुम्हारे आंसू पोछने के लिए आया था। जिसने तुम्हारे सूखे हुए जिस्मों में सांसे डालना चाही। जो गुलामी की मजबूत जंजीरों को अपने हाथों से तोड़कर तुम्हारे माथे से गुलामी के दाग को मिटा देना चाहता था। मेरी आवाज बहुत दूर तक गई। मेरे दिल की धड़कनों ने लोगों के दिल फाड़ दिए। मैंने ललकार के कहा मैं जुबान हूं तुम्हारी, मैं दर्द हूं तुम्हारा, तुम्हारे दिल की धड़कन हूं, मैं आबरू हूं तुम्हारी। मेरा सौदा मत करना। आप एक कमजोर आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उसके कदम से कदम मिलाकर साथ चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कई बार थका, कई बार बीमार भी हुआ। उसकी हिम्मत ने जवाब देना चाहा, उसके पैर लड़खड़ाने लगे मगर जब उसने पलट कर पीछे देखा तो 102 बरस का बुजुर्ग सीधा खड़ा था। एक मां एक बहन जिसके पैरों में छाले पड़ गए थे वह उसकी पीठ पर हाथ रखकर कह रही थी बेटे आगे चल मंजिल दूर है। अपने आंसू पोछते हुए बोले लोग सवाल करेंगे तुमसे इन बुलंद दीवारों से टकराने वाला आखिर मुर्गियां क्यों चुराने लगा। बुलंद फसीनो से टकराने वाला इतिहास के पन्नों पर बकरी चोर कैसे लिख गया। उन्होंने कहा कि इतने मुकदमें सहने वाला यह शख्स कैसे जिंदा है, कैसे उसके दिल में धड़कन चल रही है एक बार पूछ कर तो देखो।
सपा नेता ने कहा कि सामने चंद कदम के फासले पर एक पुरानी इमारत 40 बरस से सवालिया निशान बनी हुई थी। मैंने तुम्हारे मासूम बच्चे को इन दरवाजों के अंदर उन्हें दाखिल कर दिया यह है। उन्हें कान पकड़कर उठा दिया गया, मैं तड़प गया उनके दर्द से क्योंकि वह मेरी औलादे थी। तुम्हारे लिए मैंने स्कूल बनाए। बताओ इतिहास लिखने वालों मेरे इस गुनाह की सजा क्या है। तुम्हारे हाथ से गुलामी की लानत को छीनकर इल्म का कलम देने की जो गलती मैंने की है उसकी सजा की तपसीर अगर सुनोगे तो तुम्हारे कानों से खून बहने लगेगा। मैंने दर्द की वह मंजिलें सही है। मुझसे ज्यादती इंतकाम लेने वालों याद रखना कब्र का हिसाब नहीं होगा। इस जमीन पर जो करोगे उसका हिसाब होगा।