सपा-बसपा और BJP नेताओं के सरकारी बंगलो पर मंडराया खतरा

Edited By Deepika Rajput,Updated: 02 Sep, 2019 05:20 PM

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उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों सपा-बसपा और बीजेपी के सरकारी बंगलो पर खतरा मंडरा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में पार्टियों को आवंटित सरकारी बंगलों में पास के अन्य बंगलो को पार्टी दफ्तर में मिलाने की वैधता को चुनौती दी गई है।

प्रयागराजः उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों सपा-बसपा और बीजेपी के सरकारी बंगलो पर खतरा मंडरा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में पार्टियों को आवंटित सरकारी बंगलों में पास के अन्य बंगलो को पार्टी दफ्तर में मिलाने की वैधता को चुनौती दी गई है।

बता दें कि, यह याचिका वकील मोती लाल यादव द्वारा दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को आवंटित सरकारी बंगलों में पास के अन्य बंगलों को मिलाकर पार्टी दफ्तरों में विलय करना अवैध और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग है। नियमानुसार सिर्फ मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दल को टाइप 6 और मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय राजनीतिक दल को टाइप 5 का बंगला ही दिया जा सकता है। याची ने बड़े बंगलों को इन दलों के दफ्तरों में विलय को मंजूर किए जाने संबंधी साल 2001-2008 के बीच के सरकारी आदेश को रद्द करने की गुजारिश की है।

मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस जसबीर सिंह की खंडपीठ ने की। इस दौरान राज्य सरकार से पूछा गया कि राजनीतिक दलों को सरकारी बंगले क्यों दिए गए हैं? इस पर सरकारी वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने का आग्रह किया। जिसके बाद कोर्ट ने 4 सप्ताह के बाद दोबारा मामले की सुनवाई करने का निर्णय लिया।
 

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