UP के इस गांव में नहीं हो पाती कुर्बानी, बकरीद पर कैद में रखे जाते हैं बकरे

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Jul, 2021 05:37 PM

sacrifice is not possible in this village of up goat

यूपी के संतकबीरनगर जिले के मुसहरा गांव में बकरीद के एक दिन पहले पुलिस सारे बकरे उठा ले जाती है, जिसे बकरीद बाद वापस करती है, यहां पुलिस लोगों को कुर्बानी नही करने देती है। यह परंपरा 2007 से लगातार चलती चली आ रही है...

संतकबीरनगर: यूपी के संतकबीरनगर जिले के मुसहरा गांव में बकरीद के एक दिन पहले पुलिस सारे बकरे उठा ले जाती है, जिसे बकरीद बाद वापस करती है, यहां पुलिस लोगों को कुर्बानी नही करने देती है। यह परंपरा 2007 से लगातार चलती चली आ रही है।

बता दें कि जिले के मेंहदावल तहसील मुसहरा गांव की स्टोरी चौकाने वाली है। इस गांव में वाकई में मुस्लिमों को हिन्दू पक्ष के लोग बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने देते। बदले में कई साल से मुस्लिम पक्ष के लोगों की ओर से होलिका दहन भी रोक रखी गई है। दोनों पक्षों में यूं तो सबकुछ ठीक है, लेकिन बकरीद और होलिका को लेकर एक दूसरे के जानी दुश्मन बने हुए हैं। मेंहदावल तहसील के हर्रेया गांव में पुलिस कुर्बानी के बकरों को बकरीद के पहले उठा ले जाती है और त्योहार बीत जाने पर 3 दिन बाद ही वापस करती है, पूरा खयाल रखा जाता है कि कहीं कोई बकरीद पर कुर्बानी न कर दें। ऐसा संतकबीरनगर के छोटे से मुसहरा गांव में ही होता है। सुनने में जरा अजीब जरूर लगेगा पर यही सच्चाई है।

मुसहरा गांव जिले के धर्मसिंहवा थानाक्षेत्र में पड़ता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, मुसहरा गांव में बकरीद पर कभी कुर्बानी नहीं हुई और यहां हमेशा से रोक लगी हुई है। तब इस तरह की कोई बात भी नहीं थी। 2007 में पूर्व विधायक ताबिश खां के कहने पर इस गांव में कुर्बानी कर दी गई, इसके बाद तो वहां दो गुटों में जमकर बवाल हुआ। बात इतनी बढ़ी कि लूटपाट से लेकर आगजनी और तोड़फोड़ तक हो गई। हिंसा को काबू में करने के लिए पुलिस को बड़े पापड़ बेलने पड़े थे। इस बवाल के दौरान हिंदू पक्ष के 29 लोग जेल भी भेजें थे। उसी दिन से वहां कुर्बानी नहीं होती। बकरीद आने पर वहां सुरक्षा के लिहाज से पुलिस फोर्स ओर पीएसी तक तैनात कर दी जाती है।

पुलिस बकरीद के एक दिन पहले ही गांव में पहुंच जाती है और कुर्बानी के बकरों को कब्जे में लेकर गांव के पास बने एक मदरसे या सरकारी स्कूल में कैद कर देती है। त्योहार खत्म होने के 3 दिन बाद जाकर बकरे उनके मालिकों को वापस किए जाते हैं। इस मामले पर जिले के आलाधिकारियों की नजर रहती है। गांव में कोई हिंसा न हो इसके लिए पुलिस बकरों को ले आती है, ताकि कुर्बानी पर लगी रोक बरकरार रहे।

 

 

 

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