अॉफ द रिकॉर्ड: कांग्रेस के लिए एक छिपा वरदान

Edited By Anil Kapoor,Updated: 21 Oct, 2018 09:56 AM

of the record a hidden burden for congress

जब मायावती ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने की घोषणा की तो पार्टी में मातम जैसा माहौल था। पार्टी इन दोनों राज्यों के साथ छत्तीसगढ़ में भी बसपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने की इच्छुक थी।

लखनऊ: जब मायावती ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने की घोषणा की तो पार्टी में मातम जैसा माहौल था। पार्टी इन दोनों राज्यों के साथ छत्तीसगढ़ में भी बसपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने की इच्छुक थी। मगर बाद में जमीनी स्तर पर मिले फीडबैक से पता चला कि बसपा के साथ गठबंधन आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत की सम्भावनाओं को नुक्सान पहुंचा सकता है, विशेषकर मध्य प्रदेश में।

PunjabKesariराजस्थान में बसपा का कोई आधार नहीं। पिछले चुनावों के मतदान आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि पिछले एक दशक से बसपा का आधार तेजी से कम हुआ है। बसपा का राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कोई गढ़ नहीं। मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश के साथ लगते ग्वालियर क्षेत्र में उसका थोड़ा सा वोट बैंक है। इस क्षेत्र में 22 सीटें हैं। जहां बसपा की कुछ मौजूदगी है।

PunjabKesariकांग्रेस ने महसूस किया कि अगर ये सीटें बसपा को दी जाएं तो इनमें से अधिकांश भाजपा द्वारा जीते जाने की सम्भावना है क्योंकि अपर श्रेणियों के लोग पूरी तरह भाजपा को वोट डालेंगे। इस बात में कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी को बसपा के वोट मिलेंगे जिसके साथ उसका संबंध है। न तो भाजपा और न ही कांग्रेस इस बात को यकीन से कह सकते हैं कि उनके वोट बसपा को मिलेंगे। ये ग्रुप दलितों के खिलाफ युद्ध पथ पर हैं क्योंकि हाल ही में एससी/एसटी एक्ट में किए संशोधन के कारण अपर श्रेणी के लोग बसपा के विरुद्ध हैं।

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