Edited By Umakant yadav,Updated: 10 Nov, 2021 12:30 PM

कोरोना काल के चलते दो साल के इंतजार के बाद मोहम्मद शरीफ उर्फ शरीफ चच्चा को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन दिल्ली में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शरीफ चच्चा को पद्मश्री से सम्मानित किया। पद्मश्री से नवाजे जाने के बाद पहली बार...
अयोध्या: कोरोना काल के चलते दो साल के इंतजार के बाद मोहम्मद शरीफ उर्फ शरीफ चच्चा को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन दिल्ली में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शरीफ चच्चा को पद्मश्री से सम्मानित किया। पद्मश्री से नवाजे जाने के बाद पहली बार अयोध्या आगमन पर शरीफ चच्चा का भव्य स्वागत हुआ। रेलवे स्टेशन से ही स्वागत का शिलशिला उनके आवास पर भी चलता रहा। कांग्रेस नेता शरद शुक्ला के नेतृत्व में आधा दर्जन से अधिक लोगों ने फूल माला से स्वागत किया। हालांकि रेलवे स्टेशन पर उनके स्वागत में सत्ता दल का कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा।

बता दें बुजुर्ग समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को लावारिस लाशों के मसीहा के तौर पर जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने पिछले 28 सालों में 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। दरअसल, 30 साल पहले शरीफ चच्चा का बड़ा बेटा किसी काम से सुल्तानपुर गया था, जहां उसकी सड़क दुर्घटना से मौत हो गई। काफी खोजबीन के बाद कपड़े से बेटे की पहचान तो हुई लेकिन उन्हें अंतिम संस्कार करने का मौका नहीं मिला। लावारिस के तौर पर बेटे के अंतिम संस्कार ने शरीफ पर ऐसा असर डाला कि वो किसी भी लावारिस शव के वारिस बन कर सामने आए। इसके बाद से ही मो. शरीफ ने यह सौगंध खाई थी कि अब वह किसी भी शव का लावारिस हालत में अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे।
गौरतलब है कि सन 2019 में मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री अवार्ड मिलने की घोषणा हुई थी, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के चलते अब इस सम्मान से नवाजा गया है। उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। साथ ही स्वास्थ्य खराब होने की वजह से परिवार परेशान रहता है। बीते कुछ महीनों पहले उनकी हालात बेहद खराब हो गई थी, परिजनों के पास उनके इलाज कराने तक के पैसे हीं बचे थे। घरवालों पर अलग अलग तरह के कर्जें हैं। उनका बेटा गाड़ी चलाकर परिवार का पालन पोषण करता है।