Edited By Ajay kumar,Updated: 08 Nov, 2019 01:07 PM
कहते हैं समय के साथ साथ गहरे से गहरे जख्म भी भर जाते हैं। ऐसा ही नजारा इन दिनों उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। सपा मुखिया मुलायम सिंह को फूटी आंखों से भी देखना गवारा न समझने वाली मायावती ने चर्चित गेस्ट हाउस कांड का केस वापस लेने का मन बनाया...
लखनऊ: कहते हैं समय के साथ साथ गहरे से गहरे जख्म भी भर जाते हैं। ऐसा ही नजारा इन दिनों उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। सपा मुखिया मुलायम सिंह को फूटी आंखों से भी देखना गवारा न समझने वाली मायावती ने चर्चित गेस्ट हाउस कांड का केस वापस लेने का मन बनाया है।
सूत्रों के मुताबिक मायावती ने उत्तर प्रदेश के राजनीति की सबसे चर्चित गेस्ट हाउस कांड माम मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड में दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए शपथ पत्र दिया है। सूत्रों के अनुसार मायावती ने केस वापसी के लिए इसी साल फरवरी में ये शपथ पत्र दिया था। हालांकि बीएसपी की तरफ से इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले हुए गठबंधन के दौरान एसपी और बीएसपी के बीच इस बात पर फैसला हुआ था। अखिलेश यादव ने मायावती से गेस्ट हाउस केस में मुलायम के खिलाफ केस वापस लेने की बात कही थी। जिसके बाद फरवरी में ही मायावती ने मुलायम के खिलाफ केस वापस लेने का शपथ पत्र दे दिया था। लेकिन इस बात को मीडिया में लीक नहीं किया गया।
अखिलेश ने मायावती से मुकदमा वापस लेने का आग्रह किया था
सूत्रों के मुताबिक इसी साल जनवरी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन के बाद अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड में मुकदमा वापस लेने का आग्रह किया था। जिसके बाद फरवरी में केस वापस लेने का शपथ पत्र दे दिया गया, लेकिन इसे गोपनीय रखा गया। इस मामले में जब एक सीनियर बीएसपी नेता से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार किया।
लोकसभा चुनाव में माया-मुलायम ने साझा की रैली
बता दें लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एसपी-बीएसपी की साझा रैली में मायावती ने कहा था कि वो गेस्ट हाउस कांड को भुलाने और माफ करने के लिए तैयार हैं।
क्या है गेस्ट हाउस कांड?
गौरतलब वर्ष 1995 में मुलायम सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद लखनऊ के गेस्ट हाउस में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मायावती पर जानलेवा हमला किया था। इस घटना के बाद दोनों पार्टियों के बीच पुरानी अदावत चल रही थी। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दल अपनी इस दुश्मनी को भुलाते हुए एक साथ आए थे। लेकिन लोकसभा चुनाव में मनमुताबिक परिणाम न आने पर मायावती ने अखिलेश के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। लेकिन गठबंधन टूटने के बाद मुकदमा वापसी की अटकलों से सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है।