Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 26 May, 2024 03:41 PM
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धर्म नगरी चित्रकूट में आज हम आप को एक ऐसे वृक्ष के बारे ने बताने जा रहे है, जिसकी पूजा करने से सूनी गोद में किलकारियां गुं...
चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट में आज हम आप को एक ऐसे वृक्ष के बारे ने बताने जा रहे है, जिसकी पूजा करने से सूनी गोद में किलकारियां गुंजने लगती है। यहां संतान की चाह रखने वाले जोड़ों का हर अमावस्या और दीपावली के पर्व के समय मेला लगता है। मान्यता है कि जो भी इस वृक्ष की पूजा करता है। उसको संतान की प्राप्ति हो जाती है।
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500 साल पुराना है यह कल्प वृक्ष
बता दें कि धर्म नगरी चित्रकूट के प्रमोद वन में एक 500 वर्ष पुराना पुत्र दायनी वृक्ष है। यहां दूर-दूर से संतान न होने से निराश लोग आते है और यहां आकर इस वृक्ष की पूजा अर्चना करते है.उसके बाद पुजारी उन्हें इस वृक्ष की पत्तियां देते है जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इस तरह के सैकड़ों जोड़े यहां पूजा करने के लिए आते है और इस वृक्ष की पूजा अर्चना करने के बाद संतान की प्राप्ति करते हैं।
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वृक्ष के पुजारी राघवेंद्र पांडे ने बताया कि ये जो वृक्ष है वैष्णो संप्रदाय से है,जिसको लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रमोद वन पुत्र जीवन कल्प वृक्ष बोला जाता है। उन्होंने बताया की एक बार की बात है रीवा के राजा विश्वनाथ प्रताप के कोई संतान नहीं हो रही थी। तभी रीवा के राजा ने इसको बद्री नारायण से सोने की पालकी में अखंड कीर्तन करते पैदल नगे पैर लेकर आए है और मंदाकिनी नदी के किनारे इसकी स्थापना की स्थापना के बाद उनका पुत्र रघुराज नारायण पैदा हुआ। जब उनको संतान की प्राप्ति हुई तब उन्होंने संतान प्राप्ति के उपलक्ष में 507 कोठरी बनवाई थी।
एक से डेढ़ साल में हो जाती मान्यता पूरी
पुजारी ने आगे की जानकारी देते हुए बताया कि जिसके बाल बच्चे नहीं होते है.जिसके लड़के होते है, लड़किया नहीं होती, लड़किया होती है। लड़के नहीं होते जिनके लड़के लड़की दोनों नहीं होते जिनके दोनों होकर के खराब हो जाते है। उन सभी महिलाओं की यहां पूजा अर्चना करने के बाद एक से डेढ़ वर्ष के अंदर उसकी बात मान्यता पूरी हो जाती है। संतान प्राप्ति के बाद भक्त यहां भंडारा भी करते हैं। उन्होंने बताया कि यह वृक्ष 500 साल पुराना है और यह हमेशा हरा भरा रहता है इसमें फूल होते है फल नही जिनको संतान हो जाती है उसी को इस वृक्ष का फल माना जाता है।