हिंदू-मुस्लिस धार्मिक नेताओं ने बाबरी विध्वंस की बरसी को नहीं दी तवज्जो, सुरक्षा कड़ी

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 05 Dec, 2019 06:57 PM

hindu muslim religious leaders did not pay attention to the

हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेता बाबरी विध्वंस की बरसी को अधिक तवज्जो नहीं देने की बात कर रहे हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आयोध्या विवाद पर अपना फैसला दे दिया है। पुलिस इस मौके पर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। अधिकारी ने बताया कि नौ नवंबर को अयोध्या...

 

अयोध्याः हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेता बाबरी विध्वंस की बरसी को अधिक तवज्जो नहीं देने की बात कर रहे हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आयोध्या विवाद पर अपना फैसला दे दिया है। पुलिस इस मौके पर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। अधिकारी ने बताया कि नौ नवंबर को अयोध्या प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर जिस तरह की सुरक्षा व्यवस्था की गई थी उसी तरह की तैयारी अयोध्या में की गई है।

उल्लेखनीय है कि विवादित स्थल पर मौजूद ढांचे ढहाने की बरसी पर दक्षिणपंथी हिंदू संगठन जश्न मनाते थे। वहीं, कुछ मुस्लिम संगठन इस दिन शोक मनाते थे। इस बार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा कि ‘‘गम के दिन'' के तौर पर मनाया जाएगा ‘‘लेकिन यह लोगों पर निर्भर है।'' विश्व हिंदू परिषद (विहिप), जो अबतक इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाती थी, ने बाबरी विध्वंस की 27वीं बरसी नहीं मनाने का फैसला किया है।

एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ पदाधिकारी जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘‘ यौम-ए-गम मनाया जाएगा जैसा पिछले साल मनाया गया था। बहरहाल, यह लोगों पर है कि वे शामिल होते हैं या नहीं।'' विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, ‘‘कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा। लोग विभिन्न मंदिरों में मिट्टी के दिये जला सकते हैं। यह भी गौर करना होगा कि सत्य की जीत हुई है और अब उत्सव की कोई प्रासंगिकता नहीं है।''

रामजन्म भूमि न्यास के मुखिया महंत नृत्य गोपाल दास ने भी 30 नवंबर को इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में नहीं बनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद इस तरह के आयोजन का कोई औचित्य नहीं है। राम जन्मभूमि के नजदीक तेढ़ी बाजार मस्जिद के मौलाना शफीक आलम ने गुरुवार को कहा कि जुमे की नमाज मस्जिद में दोपहर एक बजे होगी। उन्होंने कहा कि इसमें 150 से 200 नमाजियों के शामिल होने की उम्मीद है। शफीक आलम ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन पहले आठ नवंबर को याद करते हुए कहा, ‘‘ इस इलाके में 40-50 मुस्लिम परिवार हैं जिनमें से 30 परिवारों ने महिलाओं को दूसरे स्थान पर भेज दिया था। कुछ आर्थिक रूप से मजबूत परिवार न्यायालय का फैसला आने से पहले दूसरे स्थान पर चले गए थे।''

उन्होंने कहा, ‘‘ अधिकतर लोग 14 नवंबर के बाद लौट आए। यहां कोई झड़प नहीं हुई लेकिन फैसले को लेकर लोग दुखी हैं। मैं भी अपने पैतृक स्थान बिहार के गया चला गया था और 19 नवंबर को लौटा। पुलिस बहुत मददगार रही।'' शफीक आलम ने बाहरी लोगों पर अयोध्या का माहौल खराब करने का आरोप लगाया, साथ ही कहा कि उनके हिंदू पड़ोसी बहुत अच्छे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘शादी या किसी अन्य उत्सव के समय भी वे नमाज के वक्त संगीत बंद कर देते हैं। इस बीच, उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) पीवी रामशास्त्री ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ छह दिसंबर की सुरक्षा व्यवस्था नौ नवंबर को की गई सुरक्षा व्यवस्था की निरंतरता होगी।'' अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आशीष तिवारी ने कहा कि पूरे जिले को चार क्षेत्रों, 10 सेक्टर और 14 उप सेक्टर में बांटा गया है।

एसएसपी ने कहा, ‘‘ रेत की बोरियों से 78 चौकियां स्थापित की गई है जिसमें सशस्त्र पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। यातायात को नियंत्रित करने के लिए अवरोधक लगाए गए हैं। संवेदनशील इलाकों में 269 पुलिस बूथ स्थापित किए गए हैं।'' तिवारी ने कहा कि 305 शरारती तत्वों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। इसके अलावा नौ त्वरित कार्रवाई दल तैनात किए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पांच गिरफ्तारी पार्टियों का गठन किया गया है इसके अलावा 10 अस्थायी कारावास बनाए गए हैं।'' तिवारी ने बताया कि उपद्रव रोधी टीम होटलों, धर्मशालाओं और अन्य सार्वजनिक स्थानों की तलाशी ले रही है। उन्होंने कहा कि लोगों से अपील की जाती है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की तुरंत जानकारी पुलिस को दें। एसएसपी ने बताया कि जनता से कहा गया है कि वे किसी अफवाह का शिकार नहीं बने और सौहार्द बनाए रखे। उन्होंने कहा, ‘‘ विश्वास बहाली पर जोर दिया जा रहा है और साधुओं, कारोबारियों और शिक्षाविदों से इस संबंध में संपर्क किया जा रहा है।

 

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