Edited By Mamta Yadav,Updated: 23 Apr, 2022 11:37 AM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कृषि कार्य के वास्ते लिए गए कर्ज को राज्य सरकार की कृषि माफी योजना-2017 के तहत माफ करने के लिए दी गई अर्जी को चार साल से लटकाए रखने पर शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने प्रमुख सचिव (कृषि) को तीन सप्ताह...
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कृषि कार्य के वास्ते लिए गए कर्ज को राज्य सरकार की कृषि माफी योजना-2017 के तहत माफ करने के लिए दी गई अर्जी को चार साल से लटकाए रखने पर शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने प्रमुख सचिव (कृषि) को तीन सप्ताह के भीतर उक्त किसान की अर्जी पर निर्णय लेने का आदेश दिया। प्रमुख सचिव को यह भी निर्देश दिया कि वह 30 दिन के अंदर जांच कराएं और जिस अधिकारी की वजह से किसान की अर्जी पर निर्णय करने में देरी हुई उसकी जिम्मेदारी तय करें।
पीठ ने प्रमुख सचिव से कहा कि वह कार्यवाही की रिपोर्ट अदालत में दाखिल करें। न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश किसान रामचंद्र यादव की ओर से 2021 में दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। अदालत ने कहा कि इस प्रकरण को देखकर लगता है कि सरकारी अधिकारी समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के प्रति लापरवाह हो गए हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सरकार ने किसानों की भलाई के लिए जो योजना बनाई, उसका लाभ देने के लिए निर्णय लेने में सरकारी मशीनरी को चार साल से अधिक लग गए हैं और अभी भी किसान योजना का लाभ पाने के लिए इधर-अधर भटक रहा है जबकि उसके मुताबिक वह योजना का लाभ पाने का हकदार है।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने 2017 में ग्रामीण बैंक ऑफ आर्याव्रत से केसीसी (किसान क्रेडिट सार्टिफिकेट) ऋण लिया था। योगी सरकार ने पहले कार्यकाल में शपथ लेते हुए अपने वादे को पूरा करने के क्रम में किसानों के लिए कर्ज माफी की योजना की घोषणा की थी। याचिकाकर्ता कथित रूप से उस योजना के तहत पात्र था। उसने 27 दिसंबर 2017 को बैंक को लिखा कि उसका कर्ज माफ किया जाए। बैंक ने कर्ज माफी की स्वीकृति के लिए प्रकरण जिला स्तरीय समिति के पास भेज दिया। समिति ने छह जनवरी 2020 को प्रकरण राज्य सरकार की संस्तुति के लिए भेज दिया। इस तरह अभी तक किसान की अर्जी पर सरकारी निर्णय नहीं हो पाया है। पीठ ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिम्मेदार अधिकारी के प्रति सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है।