उपायुक्त व्यवस्था पर बोले पूर्व डीजीपी, 50 साल पुराना मिथक टूट गया

Edited By Ajay kumar,Updated: 14 Jan, 2020 10:30 AM

former dgp speaks on deputy commissioner  50 year old myth broken

उत्तर प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने की पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सराहना की है ।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने की पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सराहना की है । पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने कहा कि आज एक मिथक टूट गया है कि उत्तर प्रदेश में कभी पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू नहीं हो सकती है। देश के 71 महानगरों में बहुत पहले से ही ये प्रणाली लागू है।

पूर्व डीजीपी ने इस फैसले के लिए प्रदेश की जनता, ब्यूरोक्रेसी, पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी है। इस प्रणाली में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने और अपराधों को नियंत्रण करने में पुलिस को सीधे अधिकार मिल गए हैं, जिससे वह त्वरित निर्णय लेकर यहां की जनता को राहत पहुंचाएगी। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पहले से ही बहुत अच्छी है उसमें और सुधार होगा और इससे प्रदेश की जनता लाभान्वित होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। पिछले 50 वर्ष से उत्तर प्रदेश में ‘स्मार्ट पुलिसिंग' के लिये पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग की जा रही थी।

पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा कि बदलाव के लिए यह एक अच्छा कदम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साहासिक कदम उठाया है। कई दशकों से कई सरकारों ने इस ओर कदम बढ़ाए, लेकिन आईएएस लॉबी के दबाव में अपने कदम पीछे खींच लिए थे। इस प्रणाली से न सिर्फ कानून व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि महिला अपराधों पर भी रोक लगेगी। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि लखऩऊ और नोएडा में पुलिस आयुक्त प्रणाली का लागू होना किसी क्रांति से कम नहीं है। 

पूर्व डीजीपी ने कहा कि आजादी के बाद इस प्रणाली को लागू करने के लिए तमाम प्रयास हुए, 1977 में धर्मवीर आयोग ने इसकी प्रबल सिफारिश की, लेकिन यह हो नहीं पाया। देश के 15 राज्यों में 71 जनपदों में यह व्यवस्था बड़ी सफलता के साथ पहले से ही चल रही है, उत्तर प्रदेश में किन्हीं कारणों से यह नहीं हो पाया था। आज वर्तमान सरकार ने अपनी प्रबल इच्छाशक्ति के बल पर इसे लागू किया है। पूर्व डीजी केएल गुप्ता ने इस फैसले को प्रदेश सरकार का साहसी कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह मसला साल 1977 से चला रहा था जिसे आज उत्तर प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया है।   

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