ADR के तत्वावधान में बुन्देलखंड के विकास के लिए हुआ मंथन

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 Jun, 2019 10:51 AM

brainstorm for the development of bundelkhand under the auspices of adr

उत्तर प्रदेश के झांसी में बुद्धिजीवियों,जन प्रतिनिधियों और विभिन्न दलों के प्रमुख लोगों ने हमेशा अपनी बदहाली के लिए चर्चाओं में रहने वाले बुंदेलखंड के विकास के लिए शनिवार को हुए वैचारिक मंथन में क्षेत्र के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढाये...

झांसीः उत्तर प्रदेश के झांसी में बुद्धिजीवियों,जन प्रतिनिधियों और विभिन्न दलों के प्रमुख लोगों ने हमेशा अपनी बदहाली के लिए चर्चाओं में रहने वाले बुंदेलखंड के विकास के लिए शनिवार को हुए वैचारिक मंथन में क्षेत्र के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढाये जाने की जरूरत पर बल दिया गया।

यहां राजकीय संग्रहालय के सभागार में यूपी इलेक्शन वॉच (एडीआर) के तत्वाधान में आयोजित बुन्देलखण्ड के विकास में सरकार की प्राथमिकताएं और वर्तमान संदर्भ विषयक गोष्ठी को संबोधित करते हुए अन्तररष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष व राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि बुन्देलखंड के विकास के लिए सरकार को अपनी प्राथमिकताओं में बुन्देलखंड विकास बोडर् को ताकतवर बनाना होगा तभी सच्चे मायने में विकास कार्यों में गति आएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है।

कुशवाहा ने बुन्देलखंड का गौरवशाली इतिहास बताते हुए कहा कि पिछली सरकारों में इस क्षेत्र के साथ भेदभाव हुआ हैऔर अब इसे विकसित करने के लिए पानीदार बुन्देलखंड का पानी वापस लाना होगा ताकि समृद्ध बुन्देलखंड के लिए हर घर व खेत पर पानी पहुंचे। मुगल काल से यहां पर पानी की कोई समस्या नहीं रही यहां 10 नदियां प्रवाहित होती हैं। चिंतन यह करना है कि ये नदियां बिन पानी कैसे हो रही हैं।

वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री डा.रवीन्द्र शुक्ल ने कहा कि बुन्देलखंड प्रथक राज्य निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे दलों व संगठनों को एक मंच पर आकर आवाज बुलंद करनी होगी। उन्होंने उपस्थित जन समूह के समक्ष प्रश्न दागते हुए कहा कि भला 7 जनपदों को लेकर राज्य निर्माण कैसे हो सकता है? हमें आपस में बिल्कुल नहीं लड़ना है। बल्कि मिलकर बुन्देलखण्ड राज्य के लिए संघर्ष करना है। उन्होंने बताया कि हम सभी कितना अतिक्रमण किए हैं यह सोचना होगा? दूसरों पर आरोप लगाने से स्थिति नहीं सुधरती। उहोंने यह भी सलाह दी कि पिछड़ा बुन्देलखंड कहने से हम तरक्की कदापि नहीं कर सकते। बुन्देलखंड के गौरव पर नाज करते हुए उन्होंने श्रीलंका का संस्मरण भी सुनाया। वहां प्रसिद्ध राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त व उपन्यासकार वृन्दावन लाल वर्मा के चित्र देखकर उनका मन फूला न समाया था।

अवैध खनन पर प्रश्न उठाते हुए पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रदीप जैन ने बताया कि बुन्देलखंड में अधिकारी एक प्रकार से भूखे नंगे आते हैं और चंद रोज में उनकी शहरों में गगनचुम्बी इमारतें खड़ी हो जाती है। यही नहीं वे बेशुमार चल अचल संपत्ति के मालिक हो जाते हैं। आखिर बुन्देलखंड की योजनाओं को पलीता लगाकर रातोंरात धन्नासेठ होने वाले इन अधिकारियों की जांच क्यों नहीं होती। अवैध खनन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नदियों को मानक विहीन तरीके से नोंचा जा रहा है। पहाड़ जमीदोंज हो गए हैं। भारत मां के आंचल को छलनी किया जा रहा है। इसके इतर अधिकारी मौन हो यह तमाशा देख रहे हैं।

महानगर धर्माचार्य हरिओम पाठक ने पृथक राज्य निर्माण के लिए किए गए संघर्षों पर प्रकाश डाला। साथ ही सुझाव दिया कि बुन्देलखंड की खुशहाली के लिए सभी किसानों को शासन द्वारा ट्रैक्टर से बालू ढोने का लाईसेंस दिया जाए। डम्परों और जेसीबी को रोककर ग्रामीणों से काम करवाया जाए ताकि सभी रोटी कमा सकें। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है।
 

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