'बिना उचित कारण पति से अलग रहने वाली पत्नी को नहीं मिलेगा भरण-पोषण' - इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

Edited By Anil Kapoor,Updated: 13 Jul, 2025 08:05 AM

wife who lives separately her husband without valid reason not get maintenance

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण (मेंटेनेंस) को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया है कि अगर पत्नी बिना किसी ठोस कारण के पति से अलग रहती है, तो वह पति से गुजारा भत्ता मांगने की हकदार नहीं है। यह फैसला मेरठ...

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण (मेंटेनेंस) को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया है कि अगर पत्नी बिना किसी ठोस कारण के पति से अलग रहती है, तो वह पति से गुजारा भत्ता मांगने की हकदार नहीं है। यह फैसला मेरठ की एक फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए दिया गया, जिसमें पत्नी को 5,000 रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश दिया गया था।

क्या है पूरा मामला?
मेरठ के रहने वाले विपुल अग्रवाल ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका (रिवीजन पिटिशन) दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने 17 फरवरी 2025 को आदेश दिया था कि पति विपुल अपनी पत्नी को ₹5,000 और नाबालिग बच्चे को ₹3,000 प्रति माह भरण-पोषण के रूप में दे।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट के फैसले में स्पष्ट विरोधाभास है। ट्रायल कोर्ट ने माना था कि पत्नी पर्याप्त कारणों के बिना पति से अलग रह रही है, फिर भी भरण-पोषण देने का आदेश दे दिया गया, जो CrPC की धारा 125(4) का उल्लंघन है। इस धारा के अनुसार, अगर पत्नी बिना वैध कारण के पति से अलग रहती है, तो वह मेंटेनेंस की पात्र नहीं होती।

कोर्ट की टिप्पणी
"अगर ट्रायल कोर्ट खुद मानता है कि पत्नी के पास अलग रहने का कोई उचित कारण नहीं है, तो फिर भरण-पोषण देना कैसे सही ठहराया जा सकता है? इससे न्यायिक प्रक्रिया में असंगति आती है।"

पत्नी की तरफ से क्या दलील दी गई?
पत्नी और राज्य सरकार के वकीलों ने कहा कि पत्नी पति की उपेक्षा के कारण अलग रह रही है, इसलिए उसे भरण-पोषण मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का फैसला और उसमें दिए गए तर्क आपस में मेल नहीं खाते।

अब आगे क्या होगा?
हाईकोर्ट ने मामला फिर से विचार के लिए फैमिली कोर्ट को वापस भेज दिया है। जब तक ट्रायल दोबारा पूरी नहीं हो जाती, तब तक पति को अंतरिम राहत के तहत पत्नी को ₹3,000 प्रति माह, बच्चे को ₹2,000 प्रति माह देना होगा।

महत्वपूर्ण बात
यह फैसला साफ करता है कि सिर्फ अलग रहना ही भरण-पोषण का आधार नहीं हो सकता। महिला को यह साबित करना होगा कि वह उचित कारण से पति से अलग रह रही है।

कानूनी आधार – CrPC धारा 125(4)
अगर कोई पत्नी बिना उचित कारण के अपने पति के साथ नहीं रह रही है, तो उसे भरण-पोषण की राशि का हक नहीं होगा।

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