Edited By Purnima Singh,Updated: 12 Jul, 2025 06:47 PM

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा कि किसी विशेष घटना के संदर्भ में या भारत का जिक्र किए बगैर पाकिस्तान के लिए महज समर्थन व्यक्त करना प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत अपराध नहीं है .....
प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा कि किसी विशेष घटना के संदर्भ में या भारत का जिक्र किए बगैर पाकिस्तान के लिए महज समर्थन व्यक्त करना प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत अपराध नहीं है। बीएनएस की धारा 152 के तहत भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य अपराध है।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार देशवाल ने रियाज नाम के एक व्यक्ति की जमानत मंजूर करते हुए कहा, “दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने और तथ्यों पर गौर करने के बाद इस बात में कोई विवाद नहीं है कि ‘इंस्टाग्राम' पर पोस्ट करते समय याचिकाकर्ता ने ऐसी कोई बात नहीं लिखी जिससे हमारे देश के प्रति अपमान प्रदर्शित होता हो।” अदालत ने कहा, “किसी घटना का संदर्भ लिए या भारत के नाम का जिक्र किए बगैर महज पाकिस्तान के लिए समर्थन करने से प्रथम दृष्टया बीएनएस की धारा 152 के तहत अपराध नहीं बनता।”
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के सोशल मीडिया पोस्ट में भारत के सम्मान व संप्रभुता को कम नहीं किया गया और न ही भारतीय झंडा या इसका नाम या कोई फोटो पोस्ट की गई, जिससे हमारे देश का अपमान होता हो। अदालत ने 10 जुलाई को दिए फैसले में कहा, “बीएनएस की धारा 152 एक नई धारा है जिसमें सख्त दंड का प्रावधान है और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में ऐसी कोई संगत धारा नहीं थी। इसलिए धारा 152 लगाने से पहले उचित ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया पर बोले गए शब्द या पोस्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में भी आते हैं।”