यूपी में लव जिहाद के खिलाफ विधेयक पास, नए कानून के तहत दोषी को 20 साल की कैद का प्रावधान

Edited By Ramkesh,Updated: 31 Jul, 2024 10:31 AM

bill against love jihad passed in up provision of 20 years imprisonment for

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को महत्वपूर्ण उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 पास हो गया। कानून के तहत गुमराह कर विवाह करने और धर्मांतरण के मामलों में आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। यूपी सरकार ने इससे पहले...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को महत्वपूर्ण उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 पास हो गया। कानून के तहत गुमराह कर विवाह करने और धर्मांतरण के मामलों में आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। यूपी सरकार ने इससे पहले विधानसभा में धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 पारित किया था। इस विधेयक में संशोधन कर सजा व जुर्माने की दृष्टि से इसे बहुत मजबूत किया गया है। इसमें पहले से परिभाषित अपराधों में सजा जहां दोगुनी तक बढ़ा गई है, वहीं नए अपराध भी शामिल किए गए हैं।

नए प्रावधानों के तहत धोखे, कपट, बहला-फुसला कर धर्म परिवर्तन कराने व शादी करने पर अब 3 से 10 साल की जेल व 25 हजार रुपये जुर्माना होगा। पहले एक से पांच साल जेल व 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा था। नाबालिग, महिला (एससी-एसटी) संग अपराध पर अब पांच से 14 साल की जेल व एक लाख रुपये जुर्माना तथा अवैध ढंग से सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर सात से 14 वर्ष की जेल तथा एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।  

नए बिल में क्या हैं महत्वपूर्ण प्रावधान: जानिए विस्तार से

1-  प्रदेश में धर्म संपरिवर्तन सम्बन्धी घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोकने और ऐसे अपराध करने वाले अभियुक्तों को कड़ी सजा दिये जाने के दृष्टिगत यह कानून लाया गया है।

2- धर्म संपरिवर्तन के अपराध की संवेदनशीलता, गंभीरता एवं महिलाओं के सम्मान व सामाजिक प्रास्थिति एवं संगठित एवं सुनियोजित रूप से तथा विदेशी एवं राष्‍ट्र विरोधी तत्‍वों एवं संगठनों की अवैध धर्म संपरिवर्तन तथा जनसांख्यिकी (Demography) में परिवर्तन संबंधी गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुए।

3- अधिनियम में प्राविधानित जुर्माने और दण्ड की मात्रा में अभिवृद्धि करते हुए अधिनियम की विद्यमान धारा 5 के स्‍थान पर एक नई धारा प्रतिस्‍थापित की जा रही है, जिसके अन्‍तर्गत धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करने पर न्‍यूनतम तीन वर्ष तथा अधिकतम दस वर्ष कारावास और न्‍यूनतम पचास हजार रूपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है । परन्तु  किसी अवयस्क, दिव्यांग, मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति के व्यक्ति के सम्बन्ध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन किये जाने पर न्‍यूनतम पांच वर्ष तथा अधिकतम  चौदह वर्ष तक के कठोर कारावास तथा न्‍यूनतम एक लाख रूपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है ।  

4-  उक्‍त के अतिरिक्‍त सामूहिक धर्म संपरिवर्तन के सम्बन्ध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करने पर न्‍यूनतम सात वर्ष तथा अधिकतम चौदह वर्ष तक के कठोर कारावास तथा न्यूनतम एक लाख रूपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है।

5- उक्‍त के अतिरिक्‍त यह भी प्राविधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति धर्म संपरिवर्तन के सम्बन्ध में किन्हीं विदेशी अथवा अविधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा तो उसे न्‍यूनतम सात वर्ष तथा अधिकतम चौदह वर्ष तक के कारावास एवं न्‍यूनतम एक लाख रूपये के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा ।

6- इसी प्रकार यदि कोई व्‍यक्ति धर्म संपरिवर्तन करने के आशय से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के भय में डालता है, हमला करता है या विवाह या यौन संबंध स्थापित करता है या महिलाओं की तस्करी या महिलाओं या बालिकाओं को प्रलोभित या अन्यथा तरीकों से विक्रीत करता है या इस हेतु दुष्प्रेरण, प्रयास अथवा षड्यंत्र करता है तो उसे न्‍यूनतम बीस वर्ष तथा अधिकतम आजीवन कारावास एवं जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा ।

7- ऐसा जुर्माना पीड़ित के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा और इसे पीड़ित को संदत्त किया जाएगा। 

8- संशोधन अधिनियम के माध्‍यम से धारा 7 में संशोधन करते हुए इस अधिनियम के अधीन कारित अपराधों में जमानत के संबंध में कठोर प्राविधान करने संबंधी एक नई धारा अन्‍त:स्‍थापित की जा रही है जिसमें बिना लोक अभियोजक को सुने जमानत पर आदेश पारित नहीं किया जाएगा।

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