Edited By Ramkesh,Updated: 30 Jun, 2025 05:38 PM

उत्तर प्रदेश के इटावा प्रकरण के बीच समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव का विवादास्पद बयान आया है। उन्होंने कथावाचक धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम) को निशाना बनाते हुए कथा कहने के एवज में पैसे लेने को लेकर निंदनीय टिप्पणी की है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इटावा प्रकरण के बीच समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव का विवादास्पद बयान आया है। उन्होंने कथावाचक धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम) को निशाना बनाते हुए कथा कहने के एवज में पैसे लेने को लेकर निंदनीय टिप्पणी की है। इसी कड़ी में अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अखिलेश को यह दिक्कत नहीं है कि कथा कहने वह उनके घर पर नहीं आ पा रहे हैं, बल्कि दिक्कत ये है कि वह हिंदुओं को एक कर रहे हैं।
यादवों और पंडितों को आपस में लड़ाना चाहते हैं अखिलेश
उन्होंने हिंदुओं को आपस में लड़ाने का कार्य किया है वह घृणित है। वे खुद को यादवों और पंडितों को आपस में लड़ाकर दंगे कराने का प्रयास कर रहे हैं और खुद एक पंडित जी के घर जाकर भंडारा छक रहे थे। दूसरी ओर, बागेश्वर सरकार के ऊपर टिप्पणी करके उन्होंने एक प्रकार से टारगेट किया है। उन्होंने बागेश्वर सरकार को इसलिए टार्गेट किया क्योंकि वह हिंदुत्व पर काम करते हैं। वह सनातन पर कार्य करते हैं और छूआ-छूत व भेदभाव को कम करके हिंदुओं को एक करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं और प्रयास करते हैं। इसी से अखिलेश यादव को दिक्कत है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी टिप्पणी की थी जो अशोभनीय है। ऐसे शब्दों व टिप्पणियों का प्रयोग करना साफतौर पर हिन्दु धर्मगुरुओं के प्रति उनके फ्रस्ट्रेशन को दर्शाता है।
बंटवारे की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं अखिलेश
अखिलेश यादव के बयान की न केवल संयुक्त स्वर में संत समाज ने निंदा की, बल्कि अखिलेश को चेतवनी और नसीहत भी दे दी। संतों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अखिलेश यादव के सनातन विरोधी चेहरे को उजागर किया। संतों-धर्माचार्यों ने यह भी माना कि अखिलेश बंटवारे की जिस राजनीति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं उसे न केवल यादव समाज बल्कि पूरा सनानत ही अस्वीकार करता है और उनके बयानों की कठोर निंदा की जानी चाहिए।
डीएनए में ही है सनातन विरोधी राजनीतिः सौरभ गौड़
मथुरा में धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने अखिलेश यादव की टिप्पणी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उनके डीएनए में ही सनातन का विरोध है। उन्होंने कहा कि न केवल अखिलेश बल्कि उनके पिता भी जीवनभर सनातन के विरोध की राजनीति करते रहे। इटावा प्रकरण को लेकर उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को कथावाचक संग हुए व्यवहार से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि उनकी रूचि केवल जाति में है। अखिलेश ने सोचा कि जाति के बहाने पीडीए वाली राजनीति को आगे बढ़ाया जा सकता है और इसी कारण इन्होंने धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर भी निन्दनीय बयान दिया। उन्होंने कहा कि ये क्या जानते हैं धीरेन्द्र शास्त्री के बारे में, वह इतना बड़ा हॉस्पिटल बनाने जा रहे हैं जनता की सुविधा के लिए। हजारों लोगों को उनके द्वारा निशुल्क भोजन काराया जाता है और वे अपनी मनोकामनाएं भी लेकर आते हैं जो बागेश्वर धाम में निशुल्क पूरी होती है।
धर्म रक्षा संघ अखिलेश के बयान की घोर निंदा की
उन्होंने कहा कि हमारे सभी संत सनातन के हित में कार्य कर रहे हैं। सनातन की एकता की बात करने वाला हर कोई इनको चुभता है और यही कारण है कि किसी भी स्तर पर जाकर ये उनके खिलाफ बोलेंगे। उन्होंने कहा कि अखिलेश तो पहले भी सनातनी पीठाधीश्वरों को माफिया बता चुके हैं और उनके बयानों की धर्म रक्षा संघ द्वारा घोर निंदा की जाती है। उन्होंने आगाह किया कि अखिलेश की राजनीति को यादव समाज भी समझ रहा है और झांसे में आने वाला नहीं है। आज जिस तरह सनातन की एकता और हिंदू राष्ट्र बनाने की बात हो रही है इसी से अखिलेश यादव को दिक्कत है और वह अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।
कथा व्यास नहीं करते किसी प्रकार की जोर-जबर्दस्ती
संत समाज ने एक स्वर में अखिलेश की मंशा व कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अखिलेश ने कभी अन्य मजहब के धर्मगुरुओं पर कभी टिप्पणी नहीं की, सिर्फ सनातनी धर्मगुरुओं को ही वह अपनी टिप्पणियों का निशाना बनाते हैं। संत समाज ने कहा कि अखिलेश यादव को जातिवादी राजनीति छोड़ देनी चाहिए। महामंडलेश्वर रामदास महाराज ने कहा कि कथा व्यास किसी से भी किसी प्रकार की जोर-जबर्दस्ती नहीं करते। अखिलेश को चाहिए कि गौरक्षा करने वाले सनातनी कथावचकों का पक्ष लें, उल्टा उनकी कार्यप्रणाली विधर्मियों को प्रसन्न करने वाली है। हिंदूवादी नेता जमुना देवी ने कहा कि दान-दक्षिणा देना यजमान का दायित्व है और दान-दक्षिणा स्वीकार करना ब्राह्मणों का दायित्व है। इसमें भला किसी तीसरे व्यक्ति की राय के मायने ही क्या हैं। वहीं, आचार्य सत्यमित्रानंद ने कहा कि सनातनी दान-दक्षिणा को भी राष्ट्र के कल्याण में ही लगाता है मगर कुंठित मानसिकता के लोगों को यह रास नहीं आता है।