प्रयागराज के इस मठ में जल रही है 170 साल से अखंड ज्योति, 1853 में हुई थी शुरुआत, जानिए वजह

Edited By Mamta Yadav,Updated: 25 Jun, 2022 10:31 PM

akhand jyoti is burning in this monastery of prayagraj since 170 years

संगम नगरी प्रयागराज से एक खास तस्वीर सामने आई है। संगम क्षेत्र स्थित एक मठ में करीब 170 सालों से एक अखंड ज्योति लगातार जल रही है। देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भले ही सन् 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम से शुरू हुई लेकिन इसका चिराग...

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज से एक खास तस्वीर सामने आई है। संगम क्षेत्र स्थित एक मठ में करीब 170 सालों से एक अखंड ज्योति लगातार जल रही है। देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भले ही सन् 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम से शुरू हुई लेकिन इसका चिराग बहुत पहले जल चुका था, जो आज भी बिना बुझे संगम नगरी प्रयागराज में एक आश्रम में धर्म की ज्योति के समानांतर आजादी की अलख जगाए हुये हैं। स्वतंत्रता की पहली चेतना और संग्राम की यह वह प्राचीन निशानी है जो दिल्ली के इंडिया गेट पर स्थिति अमर ज्योति से भी पुरानी है, जहां बिना किसी गतिरोध के आज भी राष्ट्रीय चेतना के सुर इश्वर की भक्ति के समानांतर गाये जाते हैं, जहां आज भी धर्म ध्वजा के साथ हर स्वतंत्रता दिवस पार शान से तिरंगा फहराया जाता है।

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बता दें कि प्रयागराज के संगम तट के पास स्थिति त्रिवेणी बांध पर स्थिति रामानंद चार्य की इस पीठ में रहने वाले साधू संतो और रामानंद चार्य के अनुयायियों को जितनी चिंता मंदिर में स्थित रामानंद जी की मूर्ति के पूजा अर्चना और रखरखाव की रहती है, उतनी ही चिंता रहती है इस मंदिर के अंदर सैकड़ों बरसों से निरंतर जल रही इस अखंड ज्योति की रहती है। जो देश की आजादी के संघर्ष की गवाह रही सबसे पुरानी लौ कहा जाय तो कही से कम नहीं होगा। प्रयागराज के संगम तट के पास स्थित रामानंद चार्य पीठ में आजादी की गवाह रही यह अखंड संघर्ष ज्योति सन 1853 से लगातार जल रही है। आश्रम में मौजूद संतो और साधको के मुताबिक रामानंद चार्य सम्प्रदाय की परम्परा के संत सियाराम शरण एक सेनानी थे जो बाद में साधू हो गए उन्होंने ही इस अखंड संघर्ष ज्योति को 1853 में जलाया जिसका मकसद देश में स्वतंत्रता की चेतना को जन -जन तक पहुंचाना था।

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सियाराम शरण दास के बाद इस परम्परा को महंत बालक दास ने आगे बढ़ाया जिसके बाद आज तक बिना बुझे यह ज्योति जल रही है। समय-समय पर भले ही मठ का विकास हुआ हो लेकिन सालों से जली आ रही अखंड ज्योति को कभी भी बुछने नहीं दिया गया। आजादी मिलने के बाद देश प्रदेश में सुख शांति बनी रहे इसके लिए अखंड ज्योति को जला कर रखा जा रहा है। जिन श्रद्धालुओं को भी अखंड ज्योति के बारे में पता चलता है वह एक बार इसका दीदार करने जरूर आता है।

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इस अखंड ज्योति के अलावा इस आश्रम में यह भी परमपरा है की यहा के इश्वर की आराधना के साथ आजादी की कथा का भी वाचन होता है। समय बदला दौर बदला तो इनका मकसद भी बदल गया -आजादी के बाद यहां राष्ट्रीय चेतना और समाजिक सद्भाव के प्रसंग पढ़े और सुने जाने लगे।  आज भी यह धर्म ध्वजा के साथ ही देश की आज़ादी का शान तिरंगा भी पूरी शान से लहराता है।

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