दो बालिकाओं के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोपी को 4 साल के कठोर कारावास की सजा, 8 हजार रुपये का लगा जुर्माना

Edited By Pooja Gill,Updated: 21 Feb, 2023 10:48 AM

accused of attempting to rape two minors

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विजय कुमार आजाद ने दो नाबालिगों के साथ छेड़छाड़ व दुष्कर्म प्रयास करने के मामले में पॉक्सो एवं एससी एसटी एक्ट के तहत आरोपियों को चार वर्ष का कठोर कारावास एवं आठ हजार रुपये...

फिरोजाबाद (अरशद अली): उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विजय कुमार आजाद ने दो नाबालिगों के साथ छेड़छाड़ व दुष्कर्म प्रयास करने के मामले में पॉक्सो एवं एससी एसटी एक्ट के तहत आरोपियों को चार वर्ष का कठोर कारावास एवं आठ हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर आठ माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जुर्माना की कुल धनराशि दोनों पीड़िताओं को आधी-आधी दी जाएगी। वहीं, झूठी गवाही देने वाली एक पीड़िता की मां पर अलग से कार्रवाई की जाने का आदेश पारित किया। इस गवाह को यदि घटना की बाबत कोई मुआवजा धनराशि प्राप्त कराई गई हो तो राज्य सरकार उससे नियमानुसार वसूल करें।

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बता दें कि यह घटना थाना दक्षिण क्षेत्र की है। जहां पर दो कि नाबालिग लड़कियां जिनकी उम्र 6 और 7 साल की है। वो अपने घर खेल रही थी तभी एक जून 2019 को दोपहर डेढ़ बजे नई बस्ती गली नंबर 2 निवासी विजय सिंह का पुत्र जीतू आया और दोनों नाबालिगों को बहला फुसलाकर सीढ़ियों पर ले गया और उनके साथ छेड़छाड़ की और दुष्कर्म करने का प्रयास किया। दोनों लड़कियां ज़ोर से चिल्लाते हुए रोने लगीं तब मौके पर परिजन पहुंचे। परिजनों को आते देख आरोपी वहां से भाग निकला। जिसका पीछा करके उसे पकड़ लिया। परिजन आरोपी और दोनों पीड़िताओं को लेकर थाने पहुंचे और पुलिस को तहरीर देकर रिपोर्ट कराई।

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कोर्ट ने सोमवार को आरोपी को सजा सुनाई
पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना उपरान्त आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय प्रेरित किया। मुकदमे की सुनवाई एवं निस्तारण अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विजय कुमार आजाद की न्यायालय में की गई। न्यायालय ने आरोप लगाया और अभियुक्त ने आरोप से इन्कार करते हुए सत्र परीक्षण की मांग की। न्यायालय में दस गवाहों ने ब्यान दिए। शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक अजमोद सिंह चौहान ने केस को साबित करने के लिए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की तमाम नजीरें पेश की। न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने पत्रावली पर उपलब्ध तमाम साक्ष्य एवं गवाहों के बयानों का गहनता से अध्ययन करने के बाद आरोपी को दोषी पाते हुए सोमवार को न्यायालय में सजा सुनाई।

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पीड़िता की मां ने कोर्ट में दी थी झूठी गवाही
न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने अपने निर्णय में कहा है कि, एक पीड़िता की मां ने अदालत में अपनी गवाही में आरोपी द्वारा पीड़िता के साथ छेड़खानी से इनकार किया है। सीएमओ द्वारा पीड़िता की उम्र घटना के समय 6 वर्ष अंकित की है। ऐसी स्थिति में न्यायालय के समक्ष प्रथम दृष्टया यह विश्वास करने के लिए पर्याप्त आधार है कि इस साक्ष्य द्वारा ऐसे कारणों से मिथ्या साक्ष्य दिया है, जिसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है। ऐसी दशा में प्रक्रिया की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए एवं न्यायिक प्रक्रिया की शुचिता एवं मर्यादा कायम रखने के लिए इस साक्ष्य के विरुद्ध धारा 344 सीआरपीसी के अंतर्गत कार्यवाही अमल में लाना न्यायोचित प्रतीत होता है। न्यायाधीश ने कहा है कि ऐसे में यदि पीड़िता की मां को किसी प्रकार की उक्त घटना की बाबत कोई भी मुआवजा धनराशि प्राप्त कराई गई हो तो संबंधित राज्य सरकार इस गवाह से उपरोक्त मुआवजा धनराशि नियमानुसार वसूल कर सकती है।

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