'अफसाना लिख रही हूँ दिले बेकरार का..' गीत ने बदायूंनी को शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचाया

Edited By Ajay kumar,Updated: 03 Aug, 2019 04:18 PM

a song has taken badayuni to fame of fame

‘मुहब्बत हम ने माना जिन्दगी बर्बाद करती है यह क्या कम है कि मर जाने पे दुनिया याद करती है’। देश विदेश में अपने गीतों से सबका दिल जीत चुके गीतकार शकील बदायूंनी का आज जन्मदिवस है।

बदायूं: ‘मुहब्बत हम ने माना जिन्दगी बर्बाद करती है यह क्या कम है कि मर जाने पे दुनिया याद करती है’। देश विदेश में अपने गीतों से सबका दिल जीत चुके गीतकार शकील बदायूंनी का आज जन्मदिवस है। यह महान गीतकार आज भले ही हमारे बीच न हो लेकिन इनके लिखे गीत आज भी हर एक की जुबान पर मौजूद हैं। पेश है एक ख़ास रिपोर्ट-
PunjabKesari
शकील बदायूनी का जन्म 3 अगस्त 1916 को बदायूं में एक मौलवी परिवार में हुआ, तब किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि यह बच्चा आगे चलकर उर्दू साहित्य और वॉलीवुड में एक अलग पहचान बनाएगा। फि़ल्मी जि़न्दगी की शुरूआत फिल्म दर्द से करने वाले शकील ने लगभग 108 फिल्मों में गीत लिखे जो बालीवुड में आज भी मील का पत्थर हैं। अपने पहले ही गीत "अफसाना लिख रही हूँ दिले बेकरार का, आँखों में रंग भरके तेरे इंतज़ार का’ ने शकील को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। यह गीत आज भी हर एक की जुबान पर है।
PunjabKesari
मेला, दुलारी, चौदहवीं का चाँद, मुगले आज़म, लीडर, राम और श्याम, गंगा जमुना जैसी फिल्में अपने खूबसूरत गीतों की वजह से ही हिट रही। शकील को बेहतर गीतों के लिए लगातार तीन बार और कुल ग्यारह बार फिल्म फेअर अवार्ड मिले जो किसी गीतकार के लिए आज भी एक रिकार्ड है। शकील ने जहाँ देशभक्ति के कई मशहूर गीत लिखे वही फिल्मों में भोजपुरी गीतों की शुरूआत का श्रेय भी शकील को ही जाता है। फिल्म गंगा जमुना के भोजपुरी भाषा के गीत इसका उधाहरण हैं। 

नौशाद ने शकील को उन उचाईयों तक उठने नहीं दिया-डॉ0 मसर्रत उल्ला खान
शायर व डॉ0 मसर्रत उल्ला खान ने बताया कि बालीवुड में शकील नौशाद रफ़ी और दिलीप कुमार की जोड़ी सफलता का पर्याय बन गई थी। लेकिन शकील के समर्थकों का कहना है कि नौशाद ने शकील को उन उचाईयों तक उठने नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। 
PunjabKesari
आज बदायूं के लोग ही भूलते जा रहे 
बदायूं का नाम पूरे विश्व में रोशन करने वाले शकील को आज बदायूं के लोग ही भूलते जा रहे हैं। शकील की याद दिलाता उनका पुश्तैनी घर आज खंडहर में तब्दील हो चुका है। शहर में शकील के नाम से बना एक छोटा सा पार्क भी अतिक्रमणकारियों का शिकार हो गया है। पार्क में लगी उनकी प्रतिमा बैनरों और होर्डिंग से छिप गयी है। शकील ने 20 अप्रैल 1970 को मुम्बई में इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन उनके लिखे गीत, गज़़लें आज भी उनकी यादों को ताज़ा किये हुए हैं। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!