UP विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से शुरू, SIR पर हंगामे के आसार

Edited By Ramkesh,Updated: 10 Dec, 2025 03:10 PM

up legislature winter session begins on december 19 likely to cause

उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को‘बाई सकुर्लेशन'के माध्यम से सत्र की तिथियों को मंजूरी दे दी। अब इस प्रस्ताव पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति के बाद आधिकारिक...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को‘बाई सकुर्लेशन'के माध्यम से सत्र की तिथियों को मंजूरी दे दी। अब इस प्रस्ताव पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति के बाद आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाएगी। सत्र 19 से 24 दिसंबर तक चलेगा।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट पेश कर सकती है सरकार
हालांकि बीच में 21 दिसंबर (रविवार) को अवकाश होने के कारण प्रभावी रूप से चार कार्य दिवस ही उपलब्ध रहेंगे। संक्षिप्त अवधि को देखते हुए सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं तय कर ली हैं। सत्र के दौरान सरकार का प्रमुख कार्य वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट पेश करना होगा। इसमें विभिन्न विभागों की अतिरिक्त जरूरतों के लिए धनराशि का प्रावधान किया जाएगा।

10 से अधिक विधेयक सदन के पटल पर रखेगी सरकार
सूत्रों की मानें तो सरकार इस सत्र में 10 से अधिक विधेयक सदन की पटल पर रखेगी। इनमें पुराने लंबित विधेयकों के साथ कुछ नए विधायी प्रस्ताव भी शामिल हैं। विपक्ष पहले ही शीतकालीन सत्र की कम अवधि को लेकर नाराजगी जता चुका है। छोटी समयावधि और विपक्ष की आक्रामक रणनीति को देखते हुए सदन में गरमाहट बढ़ने की संभावना है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि कैबिनेट ने सत्र को मंजूरी दे दी है। अब राज्यपाल की अनुमति के बाद विधानसभा सचिवालय विस्तृत कार्यसूची जारी करेगा। राज्यपाल की स्वीकृति मिलते ही शीतकालीन सत्र की औपचारिक तैयारियां पूरी हो जाएंगी।

विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी
हालांकि सत्र के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विधेयक भी लाए जाने की संभावना है इनमें सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक सुधारों से जुड़े बिल शामिल हो सकते हैं। विपक्षी दलों ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वे SIR, महंगाई, बेरोजगारी, किसान मुद्दों और कानून-व्यवस्था जैसे विषयों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों की तरह इस बार भी सत्र की अवधि बेहद सीमित रखी गई है, जिस पर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है. विपक्ष का कहना है कि छोटे सत्रों से सदन में गहन चर्चा का मौका नहीं मिल पाता जिसे महत्वपूर्ण मुद्दे रह जाते हैं जिस पर चर्चा जरुरी है। 

Related Story

Trending Topics

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!