Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 31 Oct, 2020 11:21 AM
उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें एवं उनकी आसवनियों द्वारा एथनॉल, देशी मदिरा आसवनियों एवं शीरे पर आधारित इकाइयों को निर्बाध रूप से शीरा उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये
लखनऊः उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें एवं उनकी आसवनियों द्वारा एथनॉल, देशी मदिरा आसवनियों एवं शीरे पर आधारित इकाइयों को निर्बाध रूप से शीरा उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये मंत्रिपरिषद ने शीरा नीति 2020-21 को अनुमोदित किया है।
आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि एथनॉल एवं शीरा बिक्री से प्राप्त आय से गन्ना किसानों के भुगतान के लिये टैगिंग किया गया है। प्रदेश में बी-हैवी शीरा से एथनॉल उत्पादन प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में शीरा वर्ष 2018-19 में मात्र 2 चीनी मिलें बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया गया। शीरे द्वारा 2019-20 में 26 चीनी मिलें बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया गया एवं बी-हैवी शीरे का उत्पादन में लगभग 10 गुना वृद्धि हुई है। शीरे द्वारा 2020-21 में 60 चीनी मिलों द्वारा बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है। इसी प्रकार केन जूस से एथनॉल को भी प्रोत्साहित किया जाना प्रस्तावित है।
उन्होंने बताया कि शीरा वर्ष 2020-21 में शीरे के अनुमानित उत्पादन 533.50 लाख कुण्टल के सापेक्ष देशी मदिरा हेतु आरक्षित शीरे की आवश्यकता 96.77 लाख कुन्तल आंकलित होती है। इसलिये देशी शराब आपूर्तक आसवनियों को समुचित मात्रा में शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये शीरा सत्र 2020-21 के लिए देशी मदिरा के लिए 18 प्रतिशत शीरा आरक्षित किया जाएगा। वर्ष 2019-20 के अवशेष आरक्षित शीरे के समतुल्य मात्रा को चीनी मिलों द्वारा देशी मदिरा की आसवनियों को ही विक्रय करते हुए अपनी इस अवशेष देयता को अनिवार्य रूप से माह जनवरी, 2021 तक शून्य करना होगा।
प्रदेश में केन जूस से एथनॉल निर्माण में निवेश प्रोत्साहन हेतु नई इकाइयों को तीन शीरा वर्ष के लिए आरक्षित शीरे की देयता से छूट दी गयी है। प्रदेश में शीरे की आवश्यकता के लिये पर्याप्त शीरा उपलब्ध होने पर शीरे के निर्यात की अनुमति दिया जायेगा। प्रदेश में शीरे पर आधारित लघु इकाइयों को शीरे का आवंटन उप्र शीरा नियंत्रण अधिनियम, 1964 (यथासंशोधित) में निहित व्यवस्था के अनुसार, शीरा नियंत्रक के स्तर से किया जाएगा। शीरा आधारित नई इकाइयों की स्थापना के सम्बन्ध में एक लाख कुन्तल शीरा प्रतिवर्ष की मांग वाली इकाइयों के मामले में निर्णय लेने का अधिकार आबकारी आयुक्त को प्रदत्त किया गया है।