हत्यारोपी प्रशांत चौधरी की दूसरी जमानत याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- क्रूरता से की गई थी एप्पल अधिकारी विवेक तिवारी की हत्या

Edited By Ajay kumar,Updated: 20 Aug, 2023 11:31 AM

vivek tiwari was brutally murdered high court

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एप्पल कंपनी के अधिकारी विवेक तिवारी की 28/29 सितम्बर 2018 में हुई हत्या मामले में पुलिसकर्मी प्रशांत चौधरी की दूसरी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह टिप्पणी भी की है कि अभियुक्त ने मृतक के चेहरे...

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एप्पल कंपनी के अधिकारी विवेक तिवारी की 28/29 सितम्बर 2018 में हुई हत्या मामले में पुलिसकर्मी प्रशांत चौधरी की दूसरी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह टिप्पणी भी की है कि अभियुक्त ने मृतक के चेहरे पर गोली मारी थी जो आधी रात में एक पुलिसकर्मी द्वारा की गई क्रूर हत्या थी। यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने पुलिसकर्मी प्रशांत चौधरी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।

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अभियुक्त के अधिवक्ता बोले- मृतक ने अभियुक्त पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास किया था
अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता राकेश चौधरी की दलील थी कि उक्त घटना मृतक दवारा किए गए उकसावे के फलस्वरूप घटित हुई, मृतक ने अभियुक्त पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास किया था व स्वयं को बचाने के लिए अभियुक्त ने उस पर गोली चलाई। वहीं जमानत याचिका का मृतक की पत्नी कल्पना तिवारी के अधिवक्ताओं प्रांशु अग्रवाल व चन्दन श्रीवास्तव ने विरोध किया। उनके द्वारा दलील दी गई कि सेल्फ डिफेंस का आधार अभियुक्त द्वारा अपनी पहली जमानत याचिका में लिया जा चुका है लिहाजा उस पर दोबारा विचार किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अभियुक्त की ओर से यह भी दलील दी गई कि वह चार साल से अधिक समय से जेल में है और अब तक महज छह गवाहों के बयान ट्रायल कोर्ट के समक्ष दर्ज किए जा सके हैं जबकि कुल 40 गवाहों के बयान दर्ज किए जाने हैं।

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कोविड महामारी के चलते भी गवाहों के बयान दर्ज होने में विलम्ब हुआः वादी अधिवक्ता
जवाब में वादी के अधिवक्ताओं की ओर कहा गया कि ट्रायल कोर्ट के ऑर्डर शीट्स से स्पष्ट है कि तमाम तिथियों पर अभियुक्त द्वारा सुनवाई में सहयोग नहीं किया गया व इस दौरान कोविड महामारी के चलते भी गवाहों के बयान दर्ज होने में विलम्ब हुआ।

प्रथम दृष्टया यह हत्या का ही मामला है न कि सेल्फ डिफेंस का
न्यायालय ने सभी पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने विस्तृत आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया यह हत्या का ही मामला है न कि सेल्फ डिफेंस का।

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