Edited By Imran,Updated: 05 Nov, 2024 12:22 PM
यूपी में संचालित 16000 से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों के भविष्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 संवैधानिक करार दिया है।
UP Madrasa News: यूपी में संचालित 16000 से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों के भविष्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 संवैधानिक करार दिया है।
आपको बता दें कि मार्च 22 को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक करार दे दिया था। इसके साथ ही आदेश दे दिया था कि मदरसे में पढ़ने वाले सभी बच्चों को साधारण स्कूलों में नामांकन दाखिल कराया जाए। लेकिन इस आदेश के खिलाफ मदरसा संचालकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने बाद में विस्तार से मामले पर सुनवाई की और 22 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा।
SC कोर्ट के फैसले को इमरान मसूद ने किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मदरसे को संवैधानिक करार देने के बाद कांग्रेस के सांसद सांसद इमरान मसूद ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और इससे छात्रों को राहत मिलेगी। यूपी मदरसा एक्ट को मुलायम सिंह यादव सरकार ने पास किया था। साल 2004 में मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए यह कानून यूपी सरकार से पास करवाया था। कानून का बीजेपी ने विरोध किया था।
2012 में पहली बार दाखिल हुई थी याचिका
आपको बता दें कि 2004 में बने यूपी मदरसा एक्ट के खिलाफ पहली बार 2012 में याचिका दायर की गई थी। सबसे पहले दारुल उलूम वासिया मदरसा के मैनेजर सिराजुल हक ने याचिका दाखिल की थी। फिर 2014 में माइनॉरिटी वेलफेयर लखनऊ के सेक्रेटरी अब्दुल अजीज, 2019 में लखनऊ के मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर की थी। इसके बाद 2020 में रैजुल मुस्तफा ने दो याचिकाएं दाखिल की थीं। 2023 में अंशुमान सिंह राठौर ने याचिका दायर की। सभी मामलों को नेचर एक था। इसलिए हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को मर्ज कर दिया।
जानिए क्या है यूपी मदरसा एक्ट
यूपी मदरसा बोर्ड एजुकेशन एक्ट 2004 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित कानून था। जिसे राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत मदरसों को न्यूनतम मानक पूरा करने पर बोर्ड से मान्यता मिल जाती थी।