Edited By Ramkesh,Updated: 03 Feb, 2025 01:25 PM
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले हुई भगदड़ की घटना को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाइाबाद हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है।
लखनऊ: महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले हुई भगदड़ की घटना को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाइाबाद हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है। आप को बता दें कि महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस दलील पर गौर किया कि इस मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पहले ही एक याचिका दायर की जा चुकी है और मौजूदा याचिका की शीर्ष अदालत में सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने भगदड़ को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना'' करार देते हुए याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता विशाल तिवारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा। पीठ ने तिवारी से कहा, ‘‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है लेकिन आप इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाइए।'' शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की इन दलीलों पर गौर किया कि न्यायिक जांच शुरू की गई है।
प्रयागराज में भगदड़ की घटना के एक दिन बाद 30 जनवरी को शीर्ष अदालत में यह जनहित याचिका दायर की गई थी। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत तिवारी द्वारा दायर याचिका में भगदड़ की घटनाओं को रोकने और अनुच्छेद 21 के तहत समानता एवं जीवन के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था।