Edited By Mamta Yadav,Updated: 08 Nov, 2024 02:35 AM
हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने नीशू तोमर को राहत देते हुए 15 दिन के भीतर या नियत तिथि जो भी पहले पड़े, पर पेश होकर 50 हजार की दो जमानत व व्यक्तिगत बन्धपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। महिला सिपाही रेप आरोप प्रकरण में तत्कालीन...
Lucknow/Sultanpur News: हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने नीशू तोमर को राहत देते हुए 15 दिन के भीतर या नियत तिथि जो भी पहले पड़े, पर पेश होकर 50 हजार की दो जमानत व व्यक्तिगत बन्धपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। महिला सिपाही रेप आरोप प्रकरण में तत्कालीन सीजेएम बटेश्वर कुमार ने रेप सहित अन्य आरोपों में क्लीन चिट पाये नीशू तोमर के खिलाफ दाखिल पुलिस रिपोर्ट पर प्रसंज्ञान के दौरान पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में बतौर मुल्जिम तलब किया था। तत्कालीन सीओ शिवम मिश्रा की दाखिल जांच रिपोर्ट को कोर्ट ने गलत माना था। सीजेएम ने पीड़िता के 164 बयान व कुछ अन्य साक्ष्यों को तलबी का आधार माना था।
बता दें कि सीजेएम कोर्ट के तलबी आदेश को इंस्पेक्टर नीशू तोमर ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चुनौती दी थी। जिला जज जयप्रकाश पाण्डेय की अदालत से भी पीड़िता महिला कांस्टेबल को सफलता मिली थी। सीजेएम कोर्ट के तलबी आदेश को जिला जज ने जायज माना था और तलबी आदेश में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना उचित न मानते हुए नीशू की तरफ से प्रस्तुत निगरानी अर्जी खारिज कर दी थी। जिला जज कोर्ट से राहत न पाने के बाद रेप आरोपी नीशू तोमर ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-482 के अंतर्गत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। फिलहाल हाईकोर्ट ने भी नीशू की यह याचिका खारिज कर दी थी। धारा-482 की याचिका खारिज होने के बाद नीशू तोमर ने बीते अक्टूबर माह में अग्रिम बेल के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसे हाईकोर्ट ने सशर्त स्वीकार कर लिया है। अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान नीशू के अधिवक्ता ने पीड़ित महिला कांस्टेबल के जरिये जानलेवा हमले की फर्जी एफआईआर दर्ज कराने व उस मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लग जाने समेत अन्य तर्को को जमानत का आधार बनाया।
मामले में 22 सितंबर 2022 को सरेंडर के दौरान पुलिस अभिरक्षा में जाने के बाद से करीब 17 महीने तक इंस्पेक्टर नीशू तोमर लापता चलता रहा। फिलहाल विवेचना समाप्ति के करीब पहुँचते ही नीशू तोमर के सामने आ जाने की जानकारी मिली थी, अब नीशू तोमर विभाग की जिम्मेदारी निभा रहा। दोनों पक्ष अपने-अपने पक्ष को मजबूत व सही साबित करने के लिए हर स्तर पर दांव आजमाते रहे। आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर नीशू तोमर से जुड़े प्रकरण को लेकर जिला न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक एवं पीड़िता सिपाही के गैर जनपद ट्रांसफर को रुकवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुँचा था। फिलहाल बाद में पीड़िता कांस्टेबल की ट्रांसफर हो जाने की जानकारी मिली रही। मामले में शुरू से लेकर अब तक कई मोड़ आ चुके है, आगे भी नया मोड़ सामने आने के आसार जताए जा रहे। मामले में कई अन्य बातें भी सामने आ चुकी है, पर पुलिस की जांच में अपने विभाग के लोगों को येन-केन-प्रकारेण संरक्षण देने की चर्चाएं तेज हो रही हैं।