पूरे देश में 'मदर्स मिल्क बैंक' खोलने की उठी मांग, बचेगी लाखों बच्चों की जान

Edited By Deepika Rajput,Updated: 31 Jul, 2019 03:27 PM

mother milk bank open in the entire country

नवजात बच्चों के लिए 'जीवन अमृत' माने जाने वाले मां के दूध के अभाव में शिशुओं की मौतों को रोकने के लिए पूरे देश में 'मदर्स मिल्क बैंक' खोलने की मांग की गई है। मदर्स मिल्क बैंक देश में शिशु मृत्यु दर घटाने के लिहाज से बेहद कारगर उपाय हो सकता है।

लखनऊः नवजात बच्चों के लिए 'जीवन अमृत' माने जाने वाले मां के दूध के अभाव में शिशुओं की मौतों को रोकने के लिए पूरे देश में 'मदर्स मिल्क बैंक' खोलने की मांग की गई है। मदर्स मिल्क बैंक देश में शिशु मृत्यु दर घटाने के लिहाज से बेहद कारगर उपाय हो सकता है।

देश भर में 'मदर्स मिल्क बैंक' की स्थापना की मांग करने वाले स्तनपान संवर्धन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर आरएन सिंह ने बताया कि यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मां का दूध न मिल पाने के कारण हिंदुस्तान में हर साल लगभग एक लाख 60 हजार नवजात जान गंवा देते हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि इस सिलसिले को रोकने का एक ही रास्ता है कि वाराणसी की तर्ज पर पूरे देश में जगह-जगह 'मदर्स मिल्क बैंक' स्थापित किए जाएं। गुरुवार एक अगस्त को शुरू हो रहे 'वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक' से ऐन पहले उनकी मांग है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए।

सिंह ने बताया कि कई बार ऐसी स्थिति आती है कि शिशु को अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता। खासकर मां के गंभीर रूप से बीमार हो जाने, दूध उत्पन्न न हो पाने या बच्चे के जन्म के बाद मां की मौत हो जाने पर नवजात बच्चे मां के दूध से महरूम रह जाते हैं। जन्म के फौरन बाद मां का दूध नहीं मिल पाने के कारण डायरिया, निमोनिया और कुपोषण आदि अनेक कारणों से हर साल हजारों बच्चों की मौत हो जाती है। मां का दूध शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास को सही गति देता है। मां का दूध शिशु का प्रथम टीकाकरण भी है। मां के दूध पर पोषित होने वाले शिशु बहुत कम बीमार पड़ते हैं।

पूर्वांचल में हर साल सैकड़ों की जान लेने वाले इंसेफेलाइटिस के उन्मूलन की दिशा में काम कर चुके डॉक्टर सिंह का सुझाव है कि देश में शिशुओं की सेहत और जिंदगी की सलामती के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा, लिहाजा हर ब्लॉक और जिले स्तर पर मदर्स मिल्क बैंक खोले जाएं। इससे नवजात शिशु मौत दर में उल्लेखनीय कमी आएगी। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई प्रदेशों में यह दर काफी अधिक है।

 

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