कफ सिरप तस्करी का बड़ा खुलासा: वाराणसी और लखनऊ में SIT की कार्रवाई, फर्जी लाइसेंस और करोड़ों का खेल आया सामने

Edited By Anil Kapoor,Updated: 08 Dec, 2025 02:54 PM

major disclosure of cough syrup smuggling sit action in varanasi and lucknow

Lucknow\Varanasi: वाराणसी और लखनऊ पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद कफ सिरप तस्करी का मामला धीरे-धीरे पूरी तरह सामने आ रहा है। वाराणसी में गठित SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के दो बड़े राजदारों को हिरासत में......

Lucknow\Varanasi: वाराणसी और लखनऊ पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद कफ सिरप तस्करी का मामला धीरे-धीरे पूरी तरह सामने आ रहा है। वाराणसी में गठित SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के दो बड़े राजदारों को हिरासत में लिया है। दोनों आरोपी शहर के दवा फर्म संचालक हैं। SIT को इनके पास से ऐसे ठोस सबूत मिले हैं, जिनसे पूरे काले कारोबार की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

जांच में खुला बड़ा खेल
पूछताछ में दोनों संचालकों ने कबूल किया कि वे पिछले एक साल से कफ सिरप की खरीद-बिक्री में शामिल थे। फर्मों में खरीद रिकॉर्ड में दर्ज थी, लेकिन बिक्री का पूरा हिसाब गायब था। फर्मों के दस्तावेज, बैंक खातों और संदिग्ध लेनदेन की जानकारी SIT के हाथ लगी है। अब दोनों को एनडीपीएस और धोखाधड़ी जैसी गंभीर धाराओं में गिरफ्तार किए जाने की संभावना है। शुभम जायसवाल के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से भी पूछताछ की जा रही है, जिससे और राज खुलने की उम्मीद है।

फर्जी लाइसेंस और करोड़ों का खेल
जांच में पता चला कि ड्रग विभाग ने महज 12वीं पास युवकों को भी बिना सत्यापन दवा का लाइसेंस दे दिया था। इन फर्जी लाइसेंसों के जरिए प्रतिबंधित कफ सिरप का करोड़ों का कारोबार वर्षों तक चलता रहा। शुभम के दो राजदारों की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि फर्जी फार्मा कंपनियों के नाम पर भारी बिलिंग होती थी, लेकिन वास्तविक बिक्री का कोई रिकॉर्ड नहीं था। दोनों संचालकों को हर महीने 30–40 हजार रुपए देकर उनके नाम का इस्तेमाल किया जाता था। इन फर्मों के नाम पर पांच लाख से अधिक कफ सिरप की खपत दिखाई गई। SIT की पहली बड़ी गिरफ्तारी से ड्रग विभाग की मिलीभगत और दो करोड़ से ज्यादा का अवैध कारोबार सामने आया।

लखनऊ में बड़ी कार्रवाई
लखनऊ में भी तस्करी से जुड़े कई बड़े खुलासे सामने आए। मॉडल जेल में तैनात वॉर्डर महेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया।
उसकी करीबी दोस्ती बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह से सामने आई, जो जेल में कफ सिरप तस्करी में बंद है। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि महेंद्र सिंह की पत्नी के बैंक खाते में आलोक सिंह के खाते से लाखों रुपये ट्रांसफर हुए थे। महेंद्र सिंह और आरोपी अमित सिंह टाटा तथा आलोक सिंह की कई तस्वीरें पुलिस के हाथ लगी हैं। महेंद्र सिंह पूर्व बाहुबली सांसद का करीबी रहा है और सांसद के काफिले में चलने वाली 9777 नंबर की SUV में घूमता था।

बड़ा नेटवर्क आया सामने 
दोनों शहरों में की गई कार्रवाई से साफ है कि कफ सिरप तस्करी सिर्फ दवा फर्म तक सीमित नहीं है। इसमें पुलिसकर्मी, रसूखदार लोग और बड़े नेटवर्क भी शामिल हैं। पुलिस आने वाले घंटों में और बड़े खुलासे करने की तैयारी में है। इसके बाद कई और बड़े नाम सामने आने की संभावना है।

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