काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामला: मंदिर पक्ष ने HC से कहा- वक्फ कानून के प्रावधान केवल मुस्लिमों पर लागू होते हैं

Edited By Mamta Yadav,Updated: 22 Jul, 2022 10:35 PM

kashi vishwanath gyanvapi masjid case temple side told hc

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के वकील ने कहा कि वक्फ कानून, 1995 के प्रावधान केवल मुस्लिमों पर लागू होते हैं और यह मुस्लिमों के बीच विवाद को हल करने के लिए है। न्यायमूर्ति...

प्रयागराज: काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के वकील ने कहा कि वक्फ कानून, 1995 के प्रावधान केवल मुस्लिमों पर लागू होते हैं और यह मुस्लिमों के बीच विवाद को हल करने के लिए है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने संबद्ध पक्षों को सुनने के बाद इस मामले की सुनवाई 26 जुलाई तक के लिए टाल दी। यह मामला वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर किया गया है, जिसने वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर मूल वाद की स्वीकार्यता को चुनौती दी है।

वाराणसी की अदालत में मुकदमा दायर कर उस जगह पर प्राचीन मंदिर को बहाल करने की मांग की गई है, जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। इस मुकदमे में यह दलील दी गई है कि उक्त मस्जिद, उस मंदिर का हिस्सा है। अदालत ने कहा, “समय की कमी के चलते जिरह पूरी नहीं हो सकी। इसलिए इस मामले को 26 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।”

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय प्रकाश रस्तोगी ने दलील दी कि वक्फ कानून के प्रावधान हिंदुओं पर बाध्यकारी नहीं हैं और यदि वक्फ बोर्ड और एक गैर मुस्लिम के बीच विवाद पैदा होता है तो विपक्षी को अनिवार्य रूप से एक नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में कभी कोई नोटिस नहीं दिया गया और इसलिए विवादित संपत्ति को वक्फ की संपत्ति नहीं माना जा सकता। रस्तोगी ने कहा, “वक्फ कानून लागू होने के बाद गैर पंजीकृत संपत्ति या पूर्व में पंजीकृत संपत्ति को फिर से पंजीकृत कराना जरूरी था। मौजूदा मामले में विवादित संपत्ति को कभी फिर से पंजीकृत नहीं कराया गया, इसलिए इसे वक्फ की संपत्ति नहीं माना जा सकता।”

उन्होंने कहा कि भगवान विश्वेश्वर का मंदिर प्राचीन समय ‘सतयुग' से अभी तक अस्तित्व में है और स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर विवादित ढांचे में स्थित हैं। इसलिए संपूर्ण संपत्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर में निहित है। दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एफ.ए. नकवी ने अपनी दलील में कहा कि जो संपत्ति वक्फ कानून लागू होने से पूर्व पंजीकृत थी, उसे फिर से पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसा पंजीकरण 1995 के कानून के तहत किया गया पंजीकरण माना जाएगा। नकवी ने कहा कि जहां तक उत्तर प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कानून, 1983 का संबंध है, यह कानून काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रबंधन के लिए है और इसका मौजूदा विवाद से कोई संबंध नहीं है। मंदिर पक्ष की ओर से यह दलील भी दी गई कि मंदिर का धार्मिक चरित्र कभी मस्जिद में तब्दील नहीं हुआ और ना ही मंदिर का ढांचा ध्वस्त किया गया।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!