सत्ता की हिंसा से मुक्ति पाना है तो समाजवाद का सपना देखना होगा: अखिलेश

Edited By Ramkesh,Updated: 09 Aug, 2020 07:41 PM

if you want to get rid of violence you have to dream of socialism akhilesh

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ''अगस्त क्रांति'' की भावना को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लक्ष्यों से जोड़ते हुए रविवार को अपने सभी कार्यकर्ताओं के लिए ''बाइस में बाइसिकल'' (वर्ष 2022 में साइकिल) का संदेश जारी...

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 'अगस्त क्रांति' की भावना को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लक्ष्यों से जोड़ते हुए रविवार को अपने सभी कार्यकर्ताओं के लिए 'बाइस में बाइसिकल' (वर्ष 2022 में साइकिल) का संदेश जारी किया। अखिलेश ने 12 पन्ने के इस संदेश में कहा है कि 1942 की अगस्त क्रांति की अवधारणा के आधार पर वर्ष 2022 में सपा की सरकार बनने पर वैचारिक आंदोलन के जरिए स्वतंत्रता संग्राम के सपनों को साकार करने का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि अगर मानवता को पूंजी और सत्ता की हिंसा से मुक्ति दिलानी है, तो समाजवाद का सपना देखना होगा। वर्ष 2022 में हमें अपनी तैयारियों को लेकर कोई कसर बाकी नहीं रखनी है। 2022 में 'समाजवादी सरकार का काम जनता के नाम' का उद्घोष रहेगा। सपा अध्यक्ष ने कहा कि अगस्त क्रांति के शहीदों का सपना देश में किसान, मजदूर और युवाओं का राज स्थापित करना था। इस सपने को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी सपा की है। जिस तरह समाजवादियों ने अगस्त क्रांति और जेपी आंदोलन के दौरान अग्रणी भूमिका निभाई थी, उसी तरह आज भी समाजवादी लोग एकजुट होकर संवैधानिक मूल्यों को बचाने और उन्हें बहाल करने की भूमिका निभाएंगे। अखिलेश के इस संदेश को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए इसका नाम 'बाइस में बाइसिकल' रखा गया है। बाइसिकल (साइकिल) सपा का चुनाव निशान है।

उन्होंने संदेश में कहा कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल के दौरान सत्ता के दुरुपयोग का दौर शुरू होने और लोकतंत्र विरोधी निर्णय के खिलाफ जनता के आक्रोश के इतिहास से भाजपा ने कोई सबक नहीं सीखा है। सत्ता में आने पर इस पार्टी ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति से उपजे मुद्दों की भी अनदेखी कर दी है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने विनाशकारी रास्ता अपना लिया है और लोकतंत्र की आवाज को अनसुना कर दिया। सत्ता पर एक अधिकारी मानसिकता भाजपा में कूट-कूट कर भरी हुई है। आज विचारधाराओं में टकराव है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ खुद को सबसे ऊपर दिखाने की एकाधिकार वादी मानसिकता। हमें तय करना होगा कि किधर जाना है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने केंद्र और राज्यों में सरकारें चलाई हैं और दोनों ने ही संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनके कारण संवैधानिक संस्थाओं में जन विश्वास को खतरा पैदा हुआ है। अखिलेश ने सपा के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खां का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा सरकार सपा नेताओं को अपमानित करने और झूठे मुकदमा में फंसा कर समझती है कि इससे सपा का मनोबल तोड़ा जा सकता है, लेकिन यह उसकी खाम ख्याली है। अखिलेश ने बताया कि कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर उन्होंने यह संदेश पार्टी राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और रामगोपाल यादव को डिजिटल माध्यम से भेजा है। इसे प्रदेश में सपा के सभी विधायकों, सांसदों, जिला इकाइयों और जमीनी स्तर पर बूथ इकाइयों तक के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं तक डिजिटल माध्यम से यह संदेश पहुंचाया जाएगा।

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