HC ने यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती का रास्ता किया साफ, प्रक्रिया पुन: शुरू करने की मिली अनुमति

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 13 Jun, 2020 10:34 AM

high court clears the way for 69000 teacher recruitment in up

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को सहायक बेसिक शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पुन: शुरू करने की अनुमति दे दी और कहा कि 69 हजार पदों में से आधे से अधिक पद ‘शिक्षा मित्रों'' के लिए रखने होंगे जो अभी अस्थायी नियुक्ति पर हैं।...

लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को सहायक बेसिक शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पुन: शुरू करने की अनुमति दे दी और कहा कि 69 हजार पदों में से आधे से अधिक पद ‘शिक्षा मित्रों' के लिए रखने होंगे जो अभी अस्थायी नियुक्ति पर हैं। न्यायमूर्ति पी के जायसवाल और न्यायमूर्ति डी के सिंह की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की पीठ के तीन जून के आदेश पर रोक लगा दी जिसमें 69 हजार सरकारी स्कूल शिक्षकों के लिए चयन प्रक्रिया को रोक दिया गया था।

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के 9 जून के आदेश को ध्यान में रखते हुये भर्ती प्रक्रिया जारी रखने के लिए स्वतंत्र है। उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि इन 69 हजार पदों में से करीब 37 हजार पद शिक्षा मित्रों के लिए रखे जाने चाहिए जो अभी अस्थायी तौर पर नियुक्त हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि राज्य सरकार अब बाकी पदों के लिए काउंसलिंग शुरू कर सकती है जिस पर तीन जून के आदेश के बाद रोक लग गयी थी। पीठ ने मामले में वादी असफल अभ्यर्थियों को तीन जून के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष याचिका के खिलाफ जवाब दाखिल करने के लिए 10 सप्ताह का समय दिया। उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकरण ने चयन प्रक्रिया पर रोक के तीन जून के आदेश के खिलाफ तीन अपील दाखिल की थीं।

न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने असफल उम्मीदवारों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश जारी किया था। प्राधिकरण ने दलील दी थी कि 31 असफल अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर जारी एकल पीठ का आदेश कानूनी तौर पर विचारणीय नहीं है जिसमें सफल उम्मीदवारों को सुनवाई में पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं दिया गया। असफल अभ्यर्थियों ने एकल पीठ से प्राधिकरण को यह निर्देश देने की गुहार लगाई थी कि उन्हें उन कई प्रश्नों के लिए अंक दिये जाएं जिन्हें अदालत ने भ्रामक बताया है।

उन्होंने दलील दी थी कि इससे उन्हें कट-ऑफ अंक मिल सकेंगे। न्यायमूर्ति माथुर ने चयन प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए कुछ प्रश्नों और उत्तरों में प्रथमदृष्टया ‘गंभीर भ्रम, असमंजस और गलती' का उल्लेख किया था और मामले को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेज दिया था। लेकिन प्राधिकरण की ओर से राज्य के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी थी कि याचिकाओं पर विचार करना और प्राधिकरण जैसी विशेषज्ञ इकाई के निष्कर्षों को रद्द करना अदालत के न्याय-क्षेत्र में नहीं आता।

उच्चतम न्यायालय ने 9 जून को उत्तर प्रदेश सरकार को सहायक बेसिक शिक्षकों के सभी 69,000 पदों को नहीं भरने और 37,339 ऐसे पदों को रिक्त रखने को कहा था जिन पर अभी शिक्षा मित्र काम कर रहे हैं। शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि उसने 21 मई को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि सहायक शिक्षक पद पर काम कर रहे सभी शिक्षा मित्रों की सेवा में व्यवधान नहीं डाला जाएगा ।

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