'परिवारवाद, देश की राजनीति के लिए बेहद घातक, राजनीतिक पाटिर्यों को इससे बाहर आना चाहिए'

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Jun, 2022 05:53 PM

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में लोकतंत्र के लिए समर्पित राजनीतिक पाटिर्यों वाले मजबूत विपक्ष को जरूरी बताते हुए शुक्रवार को कहा कि परिवारवाद, देश की राजनीति के लिए बेहद घातक है और इस बुराई के चंगुल में फंसी तमाम रा...

कानपुर देहात: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में लोकतंत्र के लिए समर्पित राजनीतिक पाटिर्यों वाले मजबूत विपक्ष को जरूरी बताते हुए शुक्रवार को कहा कि परिवारवाद, देश की राजनीति के लिए बेहद घातक है और इस बुराई के चंगुल में फंसी तमाम राजनीतिक पाटिर्यों को इससे बाहर आना चाहिए। मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक गांव परौंख में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि देश में लोकतंत्र के लिये समर्पित राजनीतिक पाटिर्यों वाला एक मजबूत विपक्ष हो।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी किसी राजनीतिक दल से या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र को समर्पित राजनीतिक पाटिर्यां हों।'' मोदी ने देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे राष्ट्रपति कोविंद का उदाहरण देते हुए कहा कि यह तभी संभव है जब राजनीतिक दल खुद को परिवारवाद से मुक्त कर पायेंगे और ऐसा होने पर ही राजनीतिक दल सही मायने में लोकतांत्रिक हो सकेंगे। मोदी ने कहा कि भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पद पर पहुंच सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘आज जब हम लोकतन्त्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं, तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है। ये परिवारवाद ही है जो राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।''

मोदी ने कहा, ‘‘मैं तो चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पाटिर्यां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें, खुद अपना इलाज करें। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा, देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा।''  प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है, और सबसे ज्यादा समर्पण भी है। इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आज़ादी को भारत के गांव से जोड़कर देखते थे। भारत का गांव यानी, जहां आध्यात्म भी हो, आदर्श भी हों। भारत का गांव यानी, जहां परम्परायें भी हों, और प्रगतिशीलता भी हो। भारत का गांव यानी, जहां संस्कार भी हो, सहकार भी हो। जहां ममता भी हो, समता भी हो।

इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति कोविंद के पैतृक गांव में पथरी देवी मंदिर में दर्शन पूजन भी किया। साथ ही राष्ट्रपति के पैतृक आवास को भी देखा जिसे उन्होंने मिलन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिये दान दे दिया है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।

मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए दे दिया था। आज वह भवन, विमर्श और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है। उन्होंने इस गांव में अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति जी के साथ विभिन्न स्थानों को देख रहा था, तो मैंने परौंख में भारतीय गांव की कई आदर्श छवियों को महसूस किया। यहां सबसे पहले मुझे पथरी माता का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला। ये मंदिर इस गांव की, इस क्षेत्र की आध्यात्मिक आभा के साथ ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत' का भी प्रतीक है। 
 

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