Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 11 Jan, 2019 01:03 PM

उप्र में सपा बसपा महागठबंधन की शनिवार को होने वाली साझा प्रेस कांफ्रेस के लिये अभी तक गठबंधन के एक अन्य दल राष्ट्रीय लोकदल को इसमें शामिल होने का न्यौंता नहीं मिला है। हालांकि पार्टी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी कल राजधानी लखनऊ में रहेंगे और संभवत: दोनों...
लखनऊः उप्र में सपा बसपा महागठबंधन की शनिवार को होने वाली साझा प्रेस कांफ्रेस के लिये अभी तक गठबंधन के एक अन्य दल राष्ट्रीय लोकदल को इसमें शामिल होने का न्यौंता नहीं मिला है। हालांकि पार्टी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी कल राजधानी लखनऊ में रहेंगे और संभवत: दोनों नेताओं से बाद में मुलाकात भी कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय लोकदल ने छह सीटों की मांग की है जबकि सूत्रों के अनुसार महागठबंधन द्वारा दो से तीन सीटे देने की बात चल रही है।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने शुक्रवार को फोन पर बताया कि पार्टी उपाध्यक्ष जयंत चौधरी कल शनिवार को लखनऊ आ रहे है, लेकिन अभी तक उन्हें महागठबंधन के नेताओं की साझा प्रेस कांफ्रेस में आने का न्यौता नहीं मिला है। अगर न्यौता मिलता है तो वह प्रेस कांफ्रेस में जरूर जायेंगे।
सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के इस महागठबंधन में रालोद को दो से तीन लोकसभा सीटे देने पर विचार किया जा सकता है। मंगलवार को रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनके कार्यालय में मुलाकात भी की थी । अहमद ने बुधवार को‘भाषा‘से विशेष बातचीत में कहा था,‘‘पार्टी महागठबंधन का हिस्सा है और पार्टी नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव में छह सीटों की मांग की है, यह सीटें है बागपत, मथुरा, मुजफ्फरनगर, हाथरस, अमरोहा और कैराना ।‘‘
उन्होंने कहा कि कैराना लोकसभा सीट तो रालोद के पास पहले ही है अब पांच सीटों की और मांग की गयी है । इस बारे में फैसला पार्टी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव तथा बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच बातचीत के बाद तय होगा। सपा कार्यालय में मंगलवार को अखिलेश से मुलाकात के बाद रालोद उपाध्यक्ष चौधरी ने कहा था कि अखिलेश के साथ राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा हुई। उनसे पूछा गया था कि क्या गठबंधन में रालोद को मिलने वाली सीटों पर भी चर्चा हुई इस सवाल को उन्होंने टालते हुये कहा कि‘‘सीटों की बेचैनी मीडिया को है, सारी बाते साफ होंगी, सस्पेंस बनायें रखें।‘‘लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन के सवाल को वह टाल गये थे।