Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 Nov, 2020 05:26 PM
सर्दियों के मौसम की शुरु होने के साथ ही सोमवार की सुबह उत्तर प्रदेश के कई शहरों के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का खतरा एक बार फिर से बढ़ गया है। स्मॉग की एक मोटी परत ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों को घेर लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने...
लखनऊः सर्दियों के मौसम की शुरु होने के साथ ही सोमवार की सुबह उत्तर प्रदेश के कई शहरों के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का खतरा एक बार फिर से बढ़ गया है। स्मॉग की एक मोटी परत ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों को घेर लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि देश के शीर्ष पांच सबसे प्रदूषित शहरों में से तीन उत्तर प्रदेश के थे। ताजनगर आगरा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 458 रहा जो खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है जबकि हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा भी सामान्य स्तरों से 50 गुना अधिक दर्ज की गई।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के 3 जिले जो देश के सबसे प्रदूषित शहरों की शीर्ष पांच सूची में शामिल हैं, उनमें आगरा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा शामिल हैं। एक्यूआई स्तर 456 पर दर्ज होने के बाद गाजियाबाद देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर था। इसके बाद ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 440 रहा। राज्य की राजधानी लखनऊ भी लगातार तीसरे दिन एक्यूआई 392 के साथ लाल निशान से ऊपर रहा। माना जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर प्रदेश में प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाने से हुआ है। एक अनुमान के अनुसार, वायु प्रदूषण का 29 प्रतिशत पराली जलने से निकलने वाले धुएं के कारण होता है।
डॉक्टरों ने बुजुर्गों, बच्चों और सांस के रोगियों को सलाह दी है कि वे बाहर जाने से बचें और जितना संभव हो अपने घरों के अंदर रहें। दो पहिया वाहन चलाने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपने मास्क के साथ-साथ चश्मे का उपयोग करें। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने प्रदूषण रोकथाम के लिये आवश्यक कदम नही उठाये तो दीपवली के बाद हालात और खराब होंगे।