Edited By Deepika Rajput,Updated: 11 Apr, 2019 05:20 PM
17वीं लोकसभा के लिए पहले चरण के चुनाव में गुरुवार को कड़ी सुरक्षा के बीच 20 राज्यों के 91 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान जारी है। उत्तर प्रदेश में इस बार के चुनाव में हालात 2014 से बहुत अलग है। इस बार बीजेपी 5 ऐसी बड़ी मुसीबतों का सामना कर सकती है, जो...
लखनऊ: 17वीं लोकसभा के लिए पहले चरण के चुनाव में गुरुवार को कड़ी सुरक्षा के बीच 20 राज्यों के 91 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान जारी है। उत्तर प्रदेश में इस बार के चुनाव में हालात 2014 से बहुत अलग है। इस बार बीजेपी 5 ऐसी बड़ी मुसीबतों का सामना कर सकती है, जो पिछले चुनाव में नहीं थी।
पहले से अलग हैं इस बार के हालात
आम चुनाव से ठीक पहले मुज्जफ्फरनगर दंगों ने उथल पुथल मचा दी थी। जिस कारण वोटर सांप्रदायिक मुद्दों पर बंट गए थे। जाटों और मुस्लिमों के बीच तनाव था तो वहीं गुज्जर और जाटव समाज भी आमने-सामने थे, लेकिन इस के बार हालात अलग हैं।
अजीत सिंह और उनके बेटे दे सकते हैं चुनौती
2014 के चुनाव के मुकाबले इस बार चौधरी अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी मजबूती से जाटों और मुसलमानों को एक साथ लाने में कामयाब रहे हैं, जो बीजेपी के लिए चुनौती पेश कर सकते है।
केंद्र और राज्य सरकार से लोग नाराज
बीते लोकसभा चुनाव में जनता के बीच अखिलेश सरकार को लेकर रोष था और सत्ता में परिवर्तन की मांग थी, जिसका फायदा सीधे सीधे बीजेपी को हुआ। इस बार केंद्र और राज्य सरकार से लोग नाराज हैं, जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है।
इस बार विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट
बता दें कि, सबसे बड़ा चैलेंज बीजेपी के सामने ये है कि इस बार पूरा विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट होकर लड़ रहा है, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा, कांग्रेस अकेले अकेले चुनाव लड़ रही थी। जिसका फायदा बीजेपी को पहुंचा।
बीते चुनाव में बीजेपी ने उतारे थे कई नए चेहरे
बीते चुनाव में बीजेपी ने करीब सभी नए चेहरे उतारे थे और लोगों को एक बदलाव की उम्मीद थी। इस बार बीजेपी की आपसी कलह भी खुलकर सामने आ रही है, जो चुनाव में मतदाता को सोचने पर मजबूर कर सकती है।